________________ का है। . ... संस्कृतार्थ : प्रत्यक्षं परोक्षं चेति प्रमाणस्य दौ भेदौ स्तः। प्रमाणस्यान्यमतावलम्बि परिकल्पितानामेकद्वित्रिचतुः प्रभृतिभेदानां निराकरणार्थवेदं सूत्रविहितम्। टीकार्थ : प्रत्यक्ष और परोक्ष इस प्रकार प्रमाण के 2 भेद हैं, अन्य मतावलम्बियों द्वारा कल्पित प्रमाण की एक, दो, तीन और चार आदि संख्या के निराकरण के लिए इस सूत्र को कहा गया है। 94. मात्र प्रत्यक्ष को ही प्रमाण कौन मानता है ? चार्वाक मात्र प्रत्यक्ष को ही प्रमाण मानते हैं। 95. बौद्ध लोग कितने प्रमाण मानते हैं ? बौद्ध लोग 2 प्रमाण मानते हैं - 1. प्रत्यक्ष 2. अनुमान। 96. सांख्य मतावलम्बियों की संख्या के विषय में क्या मान्यता है ? सांख्य मतावलम्बियों की संख्या विषय में 3 प्रकार से मान्यता है - 1. प्रत्यक्ष 2. अनुमान 3. शब्द (आगम)। 98. प्राभाकर की प्रमाण के विषय में क्या मान्यता है ? प्राभाकर की प्रमाण के विषय में 5 प्रकार की मान्यता है 1. प्रत्यक्ष 2. अनुमान 3. शब्द (आगम) 4. उपमान 5. अर्थापत्ति। 99. भाट्ट लोग क्या कहते हैं ? भाट्ट लोग 6 प्रमाण मानते हैं - 1. प्रत्यक्ष 2. अनुमान 3. आगम 4. उपमान 5. अर्थापत्ति 6. अभाव। 100. पौराणिक क्या मानते है ? पौराणिक लोग उपरोक्त प्रमाण के अलावा ऐतिह्य आदि को भी प्रमाण मानते हैं। 101. जैन लोगों की प्रमाण की संख्या के विषय में क्या मान्यता है ? जैन लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष दो ही प्रमाण मानते हैं। 36