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________________ 79. ज्ञान अपने आपको जानने में अन्य ज्ञान की अपेक्षा क्यों नहीं करता ? क्योंकि ज्ञान आत्मा का ही गुण है। 80. दीपक के मुख्य दो गुण कौन से हैं ? प्रकाशता और प्रत्यक्षता। 81. सूत्र का अभिप्राय रूप अर्थ क्या है। ज्ञान अपने आपके प्रतिभास करने अर्थात् जानने में अपने से अतिरिक्त सजातीय अन्य पदार्थों की अपेक्षा से रहित है, क्योंकि पदार्थ को प्रत्यक्ष करने के गुण से युक्त होकर अदृष्ट - अनुयायी करण वाला है जैसे दीपक का भासुराकार। 82. 13 वाँ सूत्र क्यों कहा जा रहा है ? प्रमाण की प्रमाणता का निश्चय करने के लिए ही यह सूत्र कहा गया है। अतः विभिन्न मतावलंबियों की मान्यता का निराकरण करते हुए स्वमत की पुष्टि हेतु यह सूत्र कहा जाएगा। मीमांसक - प्रमाण की प्रमाणता स्वतः और अप्रमाणता परतः। सांख्य - प्रमाण की प्रमाणता परतः और अप्रमाणता स्वतः। नैयायिक - प्रमाण की प्रमाणता और अप्रमाणता दोनों परतः मानते हैं। 83. प्रमाणता से क्या अभिप्राय है ? यथार्थ रूप सत्यता से है। 84. अप्रमाणता से क्या अभिप्राय है ? अयथार्थतारूप असत्यता से है। प्रमाण की प्रमाणता का निर्णय - तत्प्रामाण्यं स्वत: परतश्च // 13 // सूत्रान्वय : तत्=उस (प्रमाण) की, प्रामाण्यं =प्रमाणता (सच्चाई, वास्तविकता), स्वतः = अपने-आप से, परतः = पर से, च = और। सूत्रार्थ : प्रमाण की वह प्रमाणता अभ्यासदशा में अपने - आप से और अनभ्यासदशा में पर से होती है। 33
SR No.007147
Book TitleParikshamukham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyanandi Aacharya, Vivekanandsagar, Sandip
PublisherAnekant Gyanmandir Shodh Samsthan
Publication Year2011
Total Pages22
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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