________________ ज्ञान का विषय पदार्थ है। 74. पदार्थ में प्रत्यक्षपना क्यों कहा ? व्यवहार के प्रयोजन से प्रत्यक्षपने का उपचार किया गया है। 75. सूत्र में प्रयोजन क्या है ? यहाँ निमित्त ज्ञान और पदार्थ में विषय-विषयी भाव रूप सम्बन्ध प्रयोजन है। 76. उपचार की प्रवृत्ति कब होती है ? मुख्य वस्तु के अभाव में प्रयोजन और निमित्त के होने पर उपचार की प्रवृत्ति होती है। 77. सूत्र का अभिप्राय रूप अर्थ क्या है ? कौन ऐसा लौकिक या परीक्षक पुरुष है, जो उस ज्ञान से प्रतिभाषित पदार्थ को प्रत्यक्ष ज्ञान का विषय मानते हुए भी उसी ज्ञान को प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार न करे, अपितु वह करेगा ही। यहाँ पर विषयी ज्ञान के प्रत्यक्षपने रूप धर्म का विषयभूतपदार्थ में उपचार करके उक्त प्रकार का निर्देश किया है। अन्यथा अप्रमाणिकपने का प्रसंग आवेगा। स्व की प्रतीति की पुष्टि का उदाहरण - प्रदीपवत्॥ 12 // सूत्रान्वय : प्रदीप = दीपक के, वत् = समान। सूत्रार्थ : दीपक के समान। संस्कृतार्थ : यथा दीपको घटपटादिकं परपदार्थं प्रकाशयन् स्वम् (दीपकम्) अपि प्रकाशयति तथैव ज्ञानमपि घटपटादिपरपदार्थं जानत्सत् स्वमपि जानाति। ____टीकार्थ : जैसे दीपक घट-पट आदि दूसरे पदार्थों को प्रकाशित करता हुआ स्वयं अपने आपको (दीपक को) भी जानता है। 78. स्वप्रतीति की पुष्टि है तो दीपक का उदाहरण क्यों दिया ? स्वपर प्रकाशी होने से - जैसे दीपक स्वपर प्रकाशी है वैसे ज्ञान भी स्वपर प्रकाशी है। 32