________________ किसी ज्ञान के द्वारा जानना व्यर्थ है। 45. अवग्रह, ईहा और अवायादि अपूर्वार्थ नहीं रहे ? ऐसा कहना ठीक नहीं क्योंकि अवग्रह से जाने हुए विषय को विशेष रूप से ईहा आदि जानते हैं इसलिए अपूर्वार्थ हैं। अपूर्वार्थ क्या उक्त प्रकार का ही है अथवा अन्य प्रकार का भी है ऐसी जिज्ञासा होने पर यह सूत्र कहते हैं दृष्टोऽपि समारोपातादृक् // 5 // सूत्रान्वय : दृष्टः = अन्य प्रमाण से ज्ञात, अपि = भी, समारोपात् = समारोप होने पर, तादृक् = उसके समान (अपूर्वार्थ) / सूत्रार्थ : किसी अन्य प्रमाण से ज्ञात भी पदार्थ समारोप हो जाने से अपूर्वार्थ हो जाता है। ___ संस्कृतार्थ : केनापि प्रमाणेन विज्ञातेऽपि पदार्थे यदा संशयो, विपर्ययः अनध्यवसायो वा जायते तदा सोऽप्यपूर्वार्थो निगद्यते, तथा च तस्य वेदकं ज्ञानमपि प्रमाणस्वरूपं भवेत्। ___टीकार्थ : किसी भी प्रमाण के द्वारा ज्ञात पदार्थ में भी जब संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय हो जाता है तब वह भी अपूर्वार्थ कहा जाता है और उसी प्रकार उसको जानने वाला ज्ञान भी प्रमाण स्वरूप हो। 46. सूत्र पठित अपि शब्द का क्या अर्थ है ? केवल अनिश्चित ही पदार्थ अपूर्वार्थ नहीं है अपितु प्रमाणान्तर से निश्चित या गृहीत पदार्थ में यदि संशय, विपर्यय, अनध्यवसाय आदि हो जाए तो वह भी अपूर्वार्थ है। 47. प्रमाणान्तर निर्णीत पदार्थ अपूर्वार्थ क्यों है ? समारोप हो जाने से प्रमाणान्तर निर्णीत पदार्थ अपूर्वार्थ है। 48. सूत्र का अभिप्राय रूप अर्थ क्या है ? किसी ज्ञान के द्वारा विषय रूप से ग्रहीत भी वस्तु यदि धूमिल आकार हो जाने से निर्णय न की जा सके तो वह भी अपूर्व नाम से ही कही जाएगी ---