________________ अहिंसा, रत्नत्रय, अनेकान्त, स्याद्वाद, अपरिग्रहता। 41. संशय, विपर्यय किसे कहते हैं ? दो तरफ ढलता हुआ निर्णय रहित ज्ञान संशय कहलाता है एवं यथार्थ से विपरीत वस्तु का निश्चय कराने वाले ज्ञान को विपर्यय कहते हैं। 42. अनध्यवसाय किसे कहते हैं ? नाम, जाति, संख्यादि के विशेष परिज्ञान न होने से अनिर्णीत विषय वाले ज्ञान को अनध्यवसाय कहते हैं। '.. अनिश्चितोऽपूर्वार्थः॥4॥ सूत्रान्वय : अनिश्चितः = जिसका निश्चय न हो, अपूर्वार्थः = अपूर्वार्थ / सूत्रार्थ : जिस पदार्थ का पहले किसी प्रमाण से निश्चय नहीं किया गया हो, उसे अपूर्वार्थ कहते हैं। . संस्कृतार्थ : कस्माच्चिदपि सम्यग्ज्ञानात् यस्य पदार्थस्य कदापि निर्णयो न जातः सः अपूर्वार्थो निगद्यते। प्रमाणं तमेव निश्चिनोति। अतो यज्ज्ञानं कस्माच्चित्प्रमाणाद् विज्ञातं पदार्थं विजानाति तन्न प्रमाणम् / यतस्तेन तस्य पदार्थस्य निश्चयो न विहितः, किन्तु निश्चितमेव विज्ञातम्। टीकार्थ : किसी भी सम्यक् ज्ञान से जिस पदार्थ का कभी निर्णय नहीं हुआ है, वह अपूर्वार्थ कहा जाता है। प्रमाण उस पदार्थ का ही निश्चय करता है। इसमें जो ज्ञान किसी प्रमाण से जाने हुए पदार्थ को जानता है वह प्रमाण नहीं होता इसलिए उसके द्वारा उस पदार्थ का निश्चय नहीं होता किन्तु निश्चित को ही जानता है। 43. अपूर्वार्थ किसे कहते हैं ? जिस वस्तु का संशयादि के परिच्छेद करने वाले किसी अन्य प्रमाण से पहले निश्चय नहीं हुआ है अर्थात् जो वस्तु किसी यथार्थग्राही प्रमाण से अभी तक जानी नहीं गई है, उसे अपूर्वार्थ कहते हैं। 44. सूत्र में अपूर्व विशेषण क्यों दिया है ? जो वस्तु किसी प्रमाण के द्वारा पहले जानी जा चुकी है, उसको पुनः 24