________________ पर 15 पाठों में विभक्त 304 प्रश्नोत्तरों में सरल, सहज भाषा में इस पुस्तक का सृजन किया गया है। यह पुस्तक अनेक पाठशालों में शिक्षण शिविरों में पढ़ाई जा रही है। 19. जैन दर्शन में गुणस्थान चिंतन - लेखिका - डॉ. सूरजमुखी जैन सम्पादक - ब्र. संदीप 'सरल' प्रकाशन वर्ष - 2006 संस्करण - प्रथम, इस पुस्तक में गुणस्थान विषयक सामग्री बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत की गयी है। . पुस्तक संग्रहणीय हैं। 20. जिनागम प्रवेश गुजराती भाषा अनुवाद 21. जिनागम प्रवेश मराठी भाषा अनुवाद 22. जिनागम प्रवेश कन्नड़ भाषा अनुवाद 23. जिनागम प्रवेश तमिल भाषा अनुवाद 24. जिनागम प्रवेश अंग्रेजी भाषा अनुवाद 25. घर-घर चर्चा रहे ज्ञान की प्रथम खण्ड संपादन - ब्र. संदीप 'सरल' 26. घर-घर चर्चा रहे ज्ञान की द्वितीय खण्ड संपादन - ब्र. संदीप 'सरल' 27. जैन न्याय दर्शन प्रवेशिका - संकलन, संपादन - ब्र. संदीप 'सरल' 28. आत्मा की 47 शक्तियाँ 29. नियमसार - ग्रन्थकार आ. कुन्द कुन्द, संस्कृत टीका - पद्यप्रभमलधारीदेव, हिन्दी टीका - साहित्याचार्य पं. पन्नालाल जैन, संस्करण प्रथम, वर्ष 2010, पृष्ठ - 28+282 / / इस ग्रन्थमाला से प्रकाशित साहित्य माँ जिनवाणी के प्रचार-प्रसार हेतु साधु संघों में, शास्त्र भण्डारों में एवं त्यागी वृन्दों विद्वानों के लिए भेंट स्वरूप प्रदान किया जाता है। ग्रन्थमाला का कुशल संचालन उदार दान दातारों के सहयोग से किया जाता है। श्रुत प्रचार-प्रसार के इस पुनीत कार्य में आपका योगदान भी प्राप्त हो ऐसी अपेक्षा रखते हैं। ग्रन्थमाला के जो भी सदस्य बनते हैं उनके लिए प्रकाशित साहित्य की एक-एक प्रति हमेशा भेजी जाती रहेगी। सदस्यता निम्न प्रकार हैपरम संरक्षक सदस्य - 15,000 संरक्षक सदस्य - 11,000 जिनवाणी सदस्य - 5,000 अपनी राशि नगद, बैंक ड्रॉफ्ट, चैक द्वारा अनेकान्त ज्ञान मंदिर, शोध संस्थान बीना के नाम भेजकर सदस्यता ग्रहण करें। 208