________________ +XIII, IVX+ 1157+XIII समयसार ग्रन्थराज पर अनेकों टीकायें, उपटीकायें, प्रवचन, कलश, पद्यानुवाद, वचनिका, अनुशीलन आदि लिखे जा चुके हैं। आत्मख्याति टीका के ऊपर संस्कृत टीका - तत्वप्रबोधिनी लिखने का अतिदुष्कर कार्य न्याय, व्याकरण एवं सिद्धान्तवेत्ता पं. मोतीलाल कोठारी ने किया है। 12. आलाप पद्धति - लेखक - आ. देवसेन जी हिन्दी टीकाकार - पं. रतनचंद जी मुख्तार प्रकाशन वर्ष - 2005, संस्करण III पृष्ठ XIX+218 आलाप पद्धति अपरनाम द्रव्यानुयोग प्रवेशिका द्रव्य, गुण, पर्याय, प्रमाण, नय और निक्षेप का कथन करने वाला संस्कृत भाषा में निबद्ध बेजोड़ ग्रन्थ है। 13. अमृतवाणी - संकलन कर्ता - मुनि श्री 108 अनंतानन्द सागर जी सम्पादक - ब्र. संदीप 'सरल' प्रकाशन वर्ष - 2005 संस्करण प्रथम, पृष्ठ VI+127 अनेक आध्यात्मिक ग्रन्थों के सार स्वरूप वाक्यों का संकलन किया गया है। सात अध्याय में शीर्षकानुसार 108-108 अमृततुल्य वाक्य दिये हैं। पुस्तक पठनीय है। 14. पंचकल्याणक समीक्षा - पंचकल्याणों के महत्वहीनता एवं पंचकल्याणक के नाम पर आडम्बर प्रदर्शन का पर्दाफाश करने आदि विषयों पर लेखक ने निर्भीकता का परिचय देते हुए कृति का सृजन किया है। 15. समाधि समीक्षा - मुनि श्री ने साधक के लिए समाधिक के बाधक एवं साधक कारणों पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक को तीन अध्यायों में विभक्त किया गया है। 16. त्यौहार समीक्षा - मुनि श्री ने राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस समीक्षा, गणतंत्र दिवस समीक्षा, सामाजिक पर्यों में दीपावली त्यौहार समीक्षा, रक्षाबंधन त्यौहार समीक्षा एवं होली त्यौहार समीक्षा के अन्तर्गत प्रकाश डाला है। 17. चातुर्मास समीक्षा - लेखक मुनि श्री 108 सरल सागर जी महाराज प्रकाशन वर्ष 2001, संस्करण - प्रथम, पृष्ठ 196 श्रमण संस्कृति के हितकारी लेखक ने प्रस्तुत समीक्षा में चातुर्मास के अथ से इति तक के उन समस्त विकल्पों की चर्चा की है जो चार्तुमास के अंग न होकर भी अब अभिन्न अंग बन चुके हैं। आदि का विशद वर्णन है। 18. जिनागम प्रवेश हिन्दी - संकलन - सम्पादक -: ब्र. संदीप 'सरल' संस्करण - पंचम प्रकाशन वर्ष 2011 जैनधर्म दर्शन के लगभग 50 महत्वपूर्ण विषयों 207