________________ हिन्दी विवेचना एवं महत्वपूर्ण विवेचना के साथ प्रथम बार प्रकाशित हुई है। (2) परिशिष्ट 1 के अन्तर्गत पं. जयचन्द्र जी छाबड़ा कृत भाषा वचनिका का सरल हिन्दी भाषा में अनुवाद भी दिया हुआ है। (3) परिशिष्ट 2 के अन्तर्गत आप्तमीमांसा की 114 कारिकाओं का अन्वयार्थ एवं कारिकार्थ भी दिया है। 5. परीक्षामुख - लेखक - आ. माणिक्यनंदी जी, अनुवादक - 104 विवेकानंद सागर जी सम्पादक - ब्र. संदीप 'सरल', संस्करण तृतीय, प्रकाशन वर्ष 2011, पृष्ठ 208 परीक्षामुख जैन न्याय के अभ्यासिओं के लिए अत्यन्त उपयोगी सरल रचना है। परीक्षामुख के सूत्रों का अन्वयार्थ टीकार्थ एवं प्रत्येक सूत्र पर रची गई प्रश्नोत्तरी ने प्रतिपाद्य विषय का अत्यन्त सरलीकरण कर दिया है। सरल प्राकृत प्रवेश - संकलन - संपादन - ब्र. संदीप 'सरल' प्रकाशन वर्ष 2010 संस्करण - चतुर्थ, पृष्ठ - 54 / प्राकृत भाषा के प्रारम्भिक ज्ञान हेतु यह लघु पुस्तिका उपयोगी है। प्राकृत व्याकरण की प्रारंभिक जानकारी के साथ साथ जीवनोपयोगी 51 गाथाएं अनेक ग्रन्थों से संकलित की गई हैं। 7. प्रारंभिक नय प्रवेशिका - संकलन - संपादक ब्र. संदीप 'सरल' प्रकाशन वर्ष 2010, संस्करण पंचम, पृष्ठ 45 / जैन दर्शन के आधारभूत द्रव्य, गुण, पर्याय की विस्तृत जानकारी के साथ-साथ प्रमाण और नय विषयक प्रस्तुत करना इस पुस्तक का मुख्य ध्येय है। इस लघु पुस्तिक को आगमनय, अध्यात्मनय, नयाभास और विशेषप्रकरण के रूप में चार अध्यायों में विभक्त किया गया है। 8. आध्यात्मिक सोपान - लेखक - ब्र. शीतलप्रसाद जी, सम्पादक - ब्र. संदीप 'सरल' प्रकाशन वर्ष 2005, संस्करण द्वितीय पृष्ठ 8 + 250 / आध्यात्मिक सोपान पुस्तक के लेखक आध्यात्मिक वक्ता श्रद्धेय ब्र. शीतल प्रसाद जी ने अनेक आध्यात्मिक ग्रन्थों के सार स्वरूप प्रमेय प्रस्तुत कर जैनागम का सरल एवं सरस शैली में वर्णन किया है। 9-11. समयसार खण्ड 1-2-3 लेखक - आ. कुन्दकुन्द देव आत्मख्याति टीकाकार - अ अमृतचंद, तात्पर्यवृत्तिकार - आ. जिनसेन जी तत्वप्रबोधिनी टीकाकार एवं हिन्दी विवेचना - पं. मोतीलाल कोठारी फलटण, सम्पादक - ब्र. संदीप 'सरल' संस्करण - द्वितीय, प्रकाशन वर्ष 2004 पृष्ठ XIV+713 206