________________ विशेषार्थ : कोई व्यक्ति बालकों से परेशान (व्याकुलाचित्त) था उसने उन बालकों का साथ छुड़ाने की इच्छा से छल पूर्वक वाक्य कहकर उन्हें नदी के तट प्रदेश पर भेजा। वस्तुतः नदी के किनारे पर मोदक नहीं थे, इसलिए यह वचन आगमाभास है। जो केवल एक ऐसा प्रथम उदाहरण से संतुष्ट नहीं होते आचार्य आगमाभास का दूसरा उदाहरण देते हैं - अंगुल्यग्रे हस्तियूथशतमास्ते इति च॥ 53 // सूत्रान्वय : अंगुल्यग्रे = अंगुली के अग्र पर, हस्तियूथ = हाथियों का समूह, शतम् = सौ, आस्ते = रहते हैं, इति = इस प्रकार, च = और। सूत्रार्थ : अंगुली के अग्र भाग पर हाथियों के सौ समुदाय रहते हैं। संस्कृतार्थ : अंगुल्यग्रे हस्तियूथशतमास्ते इति वचनमागमाभासो विद्यते प्रत्यक्षेण बाधितत्वाद् असम्भवत्वाद्वा। टीकार्थ : अंगुली के अग्र भाग पर हाथियों के सैकड़ों समूह रहते हैं, इस प्रकार का वचन आगमाभास होता है, क्योंकि प्रत्यक्ष के बाधित होने से और असंभव होने से। विशेषार्थ : इस उदाहरण में सांख्य अपने मिथ्यागम जनित वासना से आक्रान्त चित्त होकर प्रत्यक्ष और अनुमान से विरुद्ध सभी वस्तुएँ सर्वथा विद्यमान हैं, ऐसा प्रमाण मानते हुए उक्त प्रकार से उपदेश देते हैं, किन्तु उनका वह भी कथन अनाप्त पुरुष के वचन रूप होने से आगमाभास ही है। अब इन ऊपर कहे गए दोनों वाक्यों आगमाभासपना कैसे है, ऐसी आशंका होने पर आचार्य उत्तर देते हैं - विसंवादात्॥ 54 // सूत्रान्वय : विसंवादात् = विसंवाद होने से। सूत्रार्थ : विसंवाद होने से। संस्कृतार्थ : आगमः प्रमाणाङ्ग विद्यते। प्रमाणेन चाविसम्वादिना भाव्यम् / अतो विसम्वादग्रस्तत्वात्पूर्वोक्तवचनमागमाभासो विद्यते। 164