________________ सूत्रार्थ : यह अनुमानाभास है (जो आगे कहा जा रहा है) . संस्कृतार्थ : पक्षाभासः हेत्वाभासो, दृष्टान्ताभास चेत्यादयः अनुमानाभासा विज्ञेयाः। . टीकार्थ : पक्षाभास, हेत्वाभास और दृष्टान्ताभास आदि इस प्रकार अनुमानाभास जानना चाहिए। विशेष : उस अनुमानाभास के अवयवाभासों को बतलाने से ही समुदाय रूप अनुमानाभास का ज्ञान हो जाता है। अब पक्षाभास का स्वरूप कहते हैं - तत्रानिष्टादिः पक्षाभासः॥ 12 // सूत्रान्वय : तत्र = उसमें, अनिष्टादिः = अनिष्ट आदि, बाधितः, पक्षाभासः = पक्षाभास। सूत्रार्थ : उनमें अनिष्ट आदि (बाधित, सिद्ध) को पक्षाभास कहते हैं संस्कृतार्थ : अनिष्टो, बाधितः सिद्धश्च पक्षः पक्षाभासः प्रोच्यते। टीकार्थ : अनिष्ट, बाधित और सिद्ध को पक्षाभास कहते है। अब अनिष्टपक्षाभास का उदाहरण कहते हैं - अनिष्टो मीमांसकस्यानित्यः शब्दः॥13॥ सूत्रान्वय : अनिष्टः = अनिष्ट, मीमांसकस्य = मीमांसक के, अनित्यः = अनित्य, शब्दः = शब्द। सूत्रार्थ : मीमांसक का कहना है कि शब्द अनित्य है, यह अनिष्ट पक्षाभास है। संस्कृतार्थ : मीमांसकेन शब्दो नित्यो मतः / अतस्तस्य शब्दोऽनित्यः इति कथनम् अनिष्टः पक्षाभासो जायते। टीकार्थ : मीमांसक के द्वारा शब्द को नित्य माना गया है। इसलिए उसके प्रति शब्द अनित्य ऐसा कहना अनिष्टपक्षाभास होता है। 142