________________ सूत्रार्थ : एक पदार्थ की अपेक्षा अन्य पदार्थ में रहने वाले विसदृश परिणाम का व्यतिरेक कहते हैं। जैसे - गााय, भैंस आदि में विलक्षणपना। संस्कृतार्थ : अन्ये अर्थाः अर्थान्तराणि, तानि गतः इत्यर्थान्तरगतः। विसदृशश्चासौ परिणामो विसदृशपरिणामः / तथा च भिन्न-भिन्न पदार्थ निष्ठत्वे सति / विलक्षणधर्मत्वं नाम व्यतिरेकत्वम् / यथा पारस्परिक वैलक्षण्य विशिष्टा गोमहिषादयस्तिर्यञ्चः। . टीकार्थ : अन्ये अर्थाः अर्थान्तराणि (अन्य पदार्थों में), तानि गतः (उनको प्राप्त) इस प्रकार अर्थान्तर गत शब्द क्या है और उसी प्रकार भिन्नभिन्न पदार्थों के स्थित होने पर विलक्षण धर्मपने का नाम व्यतिरेक है। जैसे - पारस्परिक विलक्षणता गाय और भैंस आदि तिर्यञ्च के पायी जाती है। इति चतुर्थः परिच्छेद: समाप्तः (इस प्रकार चतुर्थः परिच्छेद पूर्ण हुआ) 131