________________
आपने पूरी दृढ़ता से अपने साहित्य में उन अंधविश्वासों का तीव्रतम खण्डन भी किया है। आप प्रारम्भ से ही क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी थे ।
विवेक जागृत होने के बाद आप उस आध्यात्मिक क्रांति के जन्मदाता हुए, जो तेरापंथ के नाम से जानी जाती है तथा जिसने जिनमार्ग पर छाए भट्टारकवाद पर दृढ़ता से प्रहार कर, उसकी जड़ें कमजोर कर दी और जो आगे बढ़कर आचार्यकल्प पण्डित टोडरमलजी का संस्पर्श पाकर समस्त उत्तर भारत में फैल गई। काव्य प्रतिभा आपको जन्म से ही प्राप्त थी। जीवन की किशोरावस्था में ही आप उच्चकोटि की कविता करने लगे थे; परंतु प्रारम्भ में आप शृंगारिक कविता में मग्न रहे । चौदहवें वर्ष में आपकी सर्वप्रथम कृति 'नवरस' तैयार हो गई थी। शृंगार रस की अद्भुत उत्कृष्ट इस कृति को आपने स्वयं ही आत्म-ज्ञान होने के बाद गोमती नदी के प्रवाह में प्रवाहित कर दिया। इसके बाद आपने पूर्णतया आध्यात्मिक साहित्य की रचना की। नाटक समयसार, वनारसी विलास, नाममाला और अर्धकथानक आपकी वर्तमान में उपलब्ध कृतिआँ हैं।
नाटक समयसार – यह एक प्रकार से अमृतचंद्राचार्य के समयसार कलशों के भावात्मक पद्यानुवांदमय कृति है; तथापि अपनी मौलिक विशेषताओं के कारण इस ग्रंथ का अध्ययन करते समय स्वतंत्र ग्रंथ के समान ही आनंद प्राप्त होता है। आध्यात्मिक रस से परिपूर्ण होने के साथ ही इस ग्रंथ में चौदह गुणस्थानों का और ग्यारह प्रतिमाओं का मार्मिक विवेचन किया गया है।
अर्धकथानक - यह हिंदी भाषा का सर्वप्रथम आत्मचरित्र है। तत्कालीन आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, परिस्थितिओं को तथा आपके पचपन वर्षीय जीवन को दर्पणवत प्रतिबिम्बित करनेवाली यह प्रौढ़तम कृति है। इस कृति का नामोल्लेख गिनीज बुक में भी है। पुण्य-पाप के उदय संबंधी सांसारिक विचित्रताओं, उनमें ज्ञानी जीवों की मनोवृत्तिओं की जानकारी के लिए तथा विविधताओं से युक्त पं. बनारसीदासजी के जीवन से परिचित होने के लिए इसका अध्ययन अवश्य करना चाहिए।
बनारसीविलास - यह ग्रंथ कवि की छोटी-बड़ी गद्य-पद्यात्मक विविध रचनाओं का संग्रह ग्रंथ है।
नाममाला – धनंजय कवि कृत नाममाला का अनुकरण करते हुए बनाया गया यह हिंदी भाषा का शब्दकोश है।
तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग एक /49