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पाठ 4
पंचमगुणस्थानवर्ती श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएं
प्रश्न 1: कविवर पण्डित बनारसीदासजी का व्यक्तित्व और कर्तृत्व लिखिए।
उत्तरः कविवर पण्डित बनारसीदासजी अध्यात्म और काव्य दोनों ही क्षेत्रों में सर्वोच्च प्रतिष्ठा प्राप्त रस सिद्ध कवि और आध्यात्मिक विद्वान हैं। आप महाकवि तुलसीदासजी के समकालीन, सत्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्धतम विद्वानों में से एक हैं। ___आपका जन्म श्रीमालवंश में लाला खरगसेन के घर विक्रम सम्वत् 1643 की माघ शुक्ल एकादशी, रविवार को जौनपुर नगर में हुआ था। जन्म के समय आपका नाम विक्रमाजीत रखा गया था। बाद में बनारस यात्रा के समय पार्श्वनाथ भगवान की जन्मभूमि वाराणसी के नाम पर आपका नाम बनारसीदास हो गया। आप अपने माता-पिता के इकलौते सुपुत्र थे। ____ आपने-अपने जीवन में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखे हैं। आपका जीवन आर्थिक विषमताओं से तो परिपूर्ण है ही, पारिवारिक विषमताओं से भी सम्पन्न है। आपके तीन विवाह हुए; सात पुत्र और दो पुत्रिआँ - इसप्रकार नौ संतानें हुईं; परंतु एक भी आपके सामने ही जीवित नहीं रहीं। इस घटना को आपने अपने अर्धकथानक नामक आत्मचरित में इसप्रकार लिखा है -
कही पचावन बरस लौं, बानारसि की बात। तीनि विवाहीं भारजा, सुता दोइ सुत सात।। नौ बालक हुए मुए, रहे नारि नर दोइ।
ज्यों तरुवर पतझार है, रहे दूंठ से होई।। - ऐसी विषम परिस्थिति में भी वस्तु-स्वरूप के चिंतन-मनन तथा आत्मानुभवन
के बल पर आप विचलित नहीं हुए। आप अपने प्रारम्भिक जीवन में अनेकबार विविध अंधविश्वासों के भी शिकार हुए तथा आध्यात्मिक रुचि सम्पन्न होने के बाद
पंचमगुणस्थानवर्ती श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएं /48