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. प्रश्न 2: पाण्डवों की कहानी लिखिए। ... उत्तरः बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के समकालीन पाँच पाण्डव त्रिखंडाधिपति नारायण कृष्ण के महामाण्डलिक राजाओं में प्रमुख थे। हस्तिनापुर के कुरुवंशी प्रसिद्ध राजा पद्मरथ के कुल में एक शक्ति नामक महाप्रतापी राजा हुए हैं। उनकी शतकी नामकी रानी से पाराशर नामक महाप्रतापी पुत्र हुआ। गुण सम्पन्न राजकुमार पाराशर के गंगा नामक पत्नि से गांगेय नामक पुत्र हुआ। जो बाद में शादी व राज्य नहीं करने की दृढ़तम प्रतिज्ञा के कारण भीष्म पितामह नाम से प्रसिद्ध हुए। धृतराज के दूसरे भाई रुक्मण के पुत्र भीष्म के रूप में भी भीष्म पितामह की प्रसिद्धि है। पाराशर ने पुनः मत्स्य कुलोत्पन्न राजकुमारी सत्यवती से विवाह किया; जिससे व्यास उपनामधारी धृतराज नामक पुत्र का जन्म हुआ। धृतराज के अंबिका, अंबालिका और अंबा नामक तीन रानिओं से क्रमशः धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर- ये तीन पुत्र हुए। ...
हरिवंश के राजा सुवीर की पलि कलिंगी से जन्मे भोजकवृष्टि की सुमति नामक रानी से उग्रसेन, महासेन, देवसेन नामक तीन पुत्र तथा गांधारी नामक एक पुत्री का जन्म हुआ। गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ। उनसे दुर्योधन, दुःशासन आदि सौ पुत्र हुए; जो कुरुवंशी होने से बाद में कौरव नाम से प्रसिद्ध हुए।
हरिवंश के दूसरे राजा शूर की सुन्दरी नामक पनि से अन्धकवृष्टि नामक पुत्र हुआ। अंधकवृष्टि की रानी भद्रा से समुद्र विजय आदि दश पुत्र तथा कुन्ती और माद्री नामक दो पुत्रिआँ हुईं। दोनों पुत्रिओं का विवाह पाण्डु राजा से हुआ। कुन्ती से विवाह के पूर्व कर्ण नामक पुत्र का जन्म हुआ। जिसे लोकनिन्दा के भय से छोड़ दिया था। विवाह के बाद युधिष्ठिर, भीमसेन और अर्जुन - इन तीन पुत्रों का जन्म हुआ। माद्री से नकुल और सहदेव - इन दो पुत्रों का जन्म हुआ। ये पाँच पाण्डु के पुत्र होने के कारण बाद में पाँच पाण्डव नाम से प्रसिद्ध हुए। अंधकवृष्टि के पहले पुत्र समुद्रविजय से बाईसवें तीर्थंकर नेमिनाथ तथा अन्तिम दशवें पुत्र वसुदेव से नवमें बलभद्र बलदेव और नवमें नारायण कृष्ण का जन्म हुआ था। इसप्रकार पाण्डव कृष्ण आदि की बुआ के पुत्र थे।
. भार्गववंशी, धनुर्विद्या में प्रवीण गुरु द्रोणाचार्य इन सभी के गुरु थे। इनका पुत्र अश्वत्थामा भी इनके समान ही धनुर्विद्या में प्रवीण था। राजा पाण्डु के दीक्षित होकर स्वर्ग सिधारने के बाद कौरव और पाण्डवों में
तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग एक /127