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(९) पुस्तक का आकार तो बड़ा किया ही है। टाइप भी विशेष बड़ा बनाकर वृद्ध लोगों को पढ़ने की सुविधा हो, यह भावना रखी गयी है।
(१०) जिस दिन जो प्रवचन हुआ है, उस दिन/वार का नाम और दिनांक तो दिया ही है, साथ ही पहला प्रवचन, दूसरा प्रवचन आदि विभाग भी स्पष्ट दर्शाये हैं।
(११) विषय की अनुक्रमणिका भी दी है।
अलिंगग्रहण प्रवचन के इस संपादन, मिलान आदि कार्य में मुझे ब्र. विमलाबेन जबलपुर ने आदि से अंत तक पूर्ण सहयोग दिया है, इसका उल्लेख करना मुझे अनिवार्य है।
आध्यात्मिक पाठक इस संस्करण का लाभ उठाएंगे, ऐसी मैं आशा रखता हूँ। कुछ सुझाव हो तो अगले संस्करण में और संशोधन करने का प्रयास करेंगे।
ब्र. यशपाल जैन
विषय
पहला बोल दूसरा बोल तीसरा बोल चौथा बोल पाँचवाँ बोल छठवाँ बोल सातवाँ बोल आठवाँ बोल नववाँ बोल दसवाँ बोल
अनुक्रमणिका
विषय ग्यारहवाँ बोल बारहवाँ बोल तेरहवाँ बोल चौदहवाँ बोल पन्द्रहवाँ बोल सोलहवाँ बोल सत्रहवाँ बोल अठारहवाँ बोल उन्नीसवाँ बोल बीसवाँ बोल
(vi)