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________________ इसे ही घटयात्रा' कहते हैं। प्रश्न 18 - माता-देवी की चर्चा से क्या तात्पर्य है? उत्तर - जिस माता के गर्भ में सम्पूर्ण जगत को दिव्यध्वनि द्वारा उपदेश देनेवाला तीर्थङ्कर का जीव विराजमान हो, उसके हृदय में कैसी उमझें होती हैं तथा उस सम्यग्दृष्टि धर्मात्मा माता के कैसे आध्यात्मिक विचार होते हैं? – इनका प्रदर्शन इस चर्चा में कराया जाता है। इसमें अष्ट देवियाँ तथा छप्पन कुमारियाँ, माता से तत्त्वचर्चा करती हैं और माता अपने मुखारविन्द से उनका समाधान करती हैं - यही इस चर्चा का मार्मिक बिन्दु है। प्रश्न 19 - माता-पिता, इन्द्र-इन्द्राणी, राजा-रानी आदि की क्या पात्रताएँ हैं? उत्तर - जो प्रतिष्ठाकारक के प्रतिनिधि, पूजक, सुन्दर, सद्गुणवान, युवा, आभरण-भूषित, श्रद्धावान, निष्पाप, अशुद्ध भोजन-पानरहित होते हैं, वे इन पदों के योग्य होते हैं। अन्य तात्कालिक नियम, कार्य आदि उन्हें प्रतिष्ठाचार्य द्वारा दिये जाते हैं। प्रश्न 20 - इन्द्रसभा और राजसभा का क्या महत्त्व है? उत्तर - जब कोई तीर्थङ्कर जैसा महापुरुष, इस भूमण्डल पर अवतरित होता है तो सम्पूर्ण भूमण्डल उससे प्रभावित हो जाता है। स्वर्ग में देवता तथा मध्यलोक में राजा-चक्रवर्ती आदि अपने -अपने स्थान पर सभाओं में उन तीर्थङ्कर महापुरुष का गुणगान करते हैं तथा उनके गर्भ, जन्म आदि कल्याणकों में महोत्सव करने के सम्बन्ध में गहन मन्त्रणा करते हैं - यही इन्द्रसभा और राजसभा के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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