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________________ छोड़कर तीर्थङ्कर पर्याय में आता है, उसकी पूर्व रात्रि को तीर्थङ्कर की माता सोलह शुभस्वप्न देखती है - ऐसा ही नियोग है। वह इन स्वप्नों का फल तीर्थङ्कर के पिता से पूछती है और वे उसका शुभ फल बताकर घोषणा करते हैं – 'हे त्रिलोकीनाथ की माता! आपके गर्भ में तीन लोक के जीवों को मुक्तिमार्ग का सन्देश देनेवाला पुत्र जन्म लेनेवाला है। - यह सुनकर माता को अतिशय आनन्द उत्पन्न होता है और इसी आनन्दातिरेक की अवस्था में उनके उदर में तीर्थङ्कर का जीव, गर्भ धारण करता है। उक्त सोलह स्वप्नों का वर्णन तथा फल प्रत्येक पञ्च-कल्याणक में प्रदर्शित किया जाता है। प्रश्न 17 - गर्भकल्याणक के दिन घटयात्रा क्यों निकाली जाती है? उत्तर - जिस प्रकार माता के गर्भ में तीर्थङ्कर का जीव आता है तो अष्ट देवियाँ उसके पूर्व से ही उनकी सेवा-सुश्रुषा के लिए आ जाती हैं तथा उनकी शुद्धि आदि सर्व कर्म करती हैं; उसी प्रकार जिस वेदी पर भगवान विराजमान होंगे, उस वेदी की शुद्धि, मन्दिर-कलश, शिखर, ध्वज आदि की शुद्धि भी गर्भकल्याणक के पावन अवसर पर सम्पन्न होती है । गर्भकल्याणक के साथ इस बाह्य शुद्धता का भावनात्मक सम्बन्ध है। प्रतिष्ठा-मण्डप से जिनमन्दिर तक वेदीशुद्धि हेतु शुद्ध मन्त्रित जल, कलशों या घटों में लेकर जाते हैं, उन घटों को यात्रा में सौभाग्यवती स्त्रियाँ तथा कुमारी बालिकाएँ धारण करके चलती हैं। (520)
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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