SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 31
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 30 मोक्षमार्ग की पूर्णता १२. प्रश्न - पर्याय मात्र एक समयवर्ती ही होती है, यह विषय हमें स्पष्ट समझ में नहीं आया; कृपया स्पष्ट करें। उत्तर - पर्याय वास्तविक एक समयवर्ती ही होती है; यह विषय अति स्पष्ट है। प्रत्येक द्रव्य में प्रतिसमय उत्पाद होता है और व्यय भी होता है, यह विषय आप मानते हो या नहीं? यदि नहीं मानोगे तो द्रव्य का स्वरूप ही नहीं बनेगा। द्रव्य सत्स्वरूप है। आचार्य उमास्वामी ने 'सद्रव्यलक्षणम्' ऐसा सूत्र कहा है और इसे ही स्पष्ट करते हुए आगे फिर एक सूत्र लिखते हैं - 'उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तं सत्' जो सत् कहा गया है, वह कूटस्थ अर्थात् सर्वथा नित्य नहीं है; परन्तु कथंचित् नित्य तथा कथंचित् अनित्य है। ___ वस्तु में पर्याय की अपेक्षा प्रतिसमय नयी अवस्था उत्पन्न होती है, पुरानी अवस्था नष्ट होती है और वस्तु, द्रव्यरूप से कायम बनी रहती है - ऐसा द्रव्य का स्वरूप है। इसलिए प्रत्येक द्रव्य की प्रत्येक पर्याय (अवस्था) एक समयवर्ती ही होती है; यह निश्चित है। निरन्तर प्रवाह क्रम की अपेक्षा अधिक काल तक एक समान अवस्था होने के कारण पर्याय (अवस्था) को कदाचित् अधिक काल पर्यंत टिकनेवाली (व्यंजनपर्याय) भी कहते हैं। नर-नारकादिपर्याय को सादिसान्त कहा जाता है। भव्य जीव की संसार पर्याय अनादि-सान्त एवं समान-समानरूप से अवस्था रहने के कारण अभव्य जीव की संसार पर्याय को अनादि-अनंत कहा एवं माना जाता है। विवक्षा के अनुसार सब कथन सत्य है। अस्तु। उक्त विषय को विशेष जानने के लिए पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट से प्रकाशित 'निमित्त-उपादान' और 'मूल में भूल' कृति का अध्ययन अवश्य करें।
SR No.007126
Book TitleMokshmarg Ki Purnata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherTodarmal Smarak Trust
Publication Year2007
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy