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________________ 3) उपप्रवर्तक प. पू. श्री. सुरेशमुनि म.सा आदरणीय धर्मनिष्ठ, सुश्रावक डॉ. सुभाष लुंकडजी, आपने धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि का समन्वय सामायिक के रूप में करके अपने विचार प्रेषित किए। यह पढकर ऐसा लगा कि, यह लेखन शरीर को एक उर्जा प्रदान कर रहा है। शरीर में नई चेतना पैदा हो रही है। ___ जब इसका ध्यान के रूप में,मेडिटेशन के रूप में ,अंगीकार करेंगे तो शरीर मे एक अलग तरह की घटना घटने लगेगी। आप इसे आगे बढाएँ। आपका प्रयास सफल हो / ये अति उपयोगी सूत्र है। ये आपके विचार कई लोगों को नई दिशा देनेवाले है। इस भौतिकवादी जीवन मे ये सूत्र एक अमृत के समान काम करेगा। . - आपजगह जगह इस का प्रचार प्रसार करें। जगह जगह शिबिरों का आयोजन करें। ये जीवनके लिए अति महत्वपूर्ण है / ये आत्मा में शुध्द स्वरूप नई क्रांति के सूत्रपात है। मेरी यही कामना है कि, आप इसका विस्तार करें उपप्रवर्तक सुरेशमुनि 24/5/2001 लुंकड हॉस्पिटल,येरवडा
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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