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________________ 2) शास्त्रज्ञ प. पू. श्री. गौतममुनि म.सा "प्रथम" गुरुभ्राता श्री. डॉ.सुभाष लुंकडजी एक सरलमना, सुयोग्य श्रावक रत्न है। आपके मन में एक अभिलाषा है, कि आत्मिक भावों में रमण करना है , तो शुध्द सामायिक की आवश्यकता है। . आपने जो सामायिक में अनुभूति की है उसे अपने शब्दोंमें जनता के सामने प्रस्तुत कर रहे है। द्रव्य-भाव सामायिक का अर्थ आपने अपनी अनुभूति के द्वारा जाना और जनता भी जाने इस भावना से इस पुस्तिका द्वारा अपने भाव प्रस्तुत कर रहे है। द्रव्य और भाव दोनों सामायिक का अन्तर आपने लिखा है। आपकी यह कृति जन-जनमे प्रिय बने, प्रत्येक श्रमणोपासक द्रव्य सामायिक सें भाव सामायिक में रमण करे ऐसी मेरी शुभ कामनाएँ है। आपका गुरुप्रताप शि. गौतममुनि "प्रथम" 22/5/2001 सादडीसदन पुणे 41
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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