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________________ और यह साधना इतनीशुध्दशास्त्रीय और सहज है कि, इसे निष्ठापूर्वक करनेवाला साधक जरूर ही बहुत ज्यादा अध्यात्मिक प्रगति बहूत कम समयमे कर जाएगा । उसका जीवन बदलने लगेगा । इसका हमे शतप्रतिशत विश्वास है। यही एक व्रत नैया पार लगाने के लिए काफी है। कोई धर्मपंडित बननेकि जरूरत नही। इस साधना के साथ अगर अलग से स्वाध्याय करे ,धर्मशास्त्र जाने , तो सोने पे सुहागा है । पर वह अत्यावश्यक नही । क्योंकि सारे धर्मसूत्रोंका सार इस साधना के व्दारा आपतक पहूँच जाता है। तो आइए देखते है कैसे कर यह सामायिक का महान व्रत। ८) एक आदर्श सामायिक की विधि (समय-४८ मिनट) १) मन - प्रसन्न हो , मन मे शुभ भावना हो, संसार के सभी पदार्थों से निवृत्तिभाव धारण करे याने कि सामायिक के आवश्यक उपकरणो के अलाव किसी भी चीज को छुना तक नही। मिटटी,पानी पुष्प ,फल, धान्य, वनस्पति अग्नि आदि वस्तुओं से अलग रहे। २) उपकरण-१) आसन - एकपूट सूती या उनी आसन २) श्वेत मुखवास्त्रिका - अपनी अपनी परंपरा नुसार मुखवस्त्रिका का वापर कीजिए। ३) पूँजनी - अत्यावश्यक नही। पूँजनी न हो तो हलके साफ धुले हुये रूमाल आदि से भी भूमि को साफ कर सकते है। . . ४) धार्मिक किताबें - पाटियाँ अगर मुखोद्गत न . १६
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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