SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 598
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 582 Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 4) Ajjai nilakancua..... (p. 36) अज्जाइ णील-कंचुअ-भरिदुच्चरिअं(-भरिउव्वरिअं)विहाइ थणवढें । जल-भरिअ-जलहरंतर-दरुग्गरं चंदबिबं व॥ (आर्याया नीलकञ्चुक-भरितोच्चारितं (-भृतोर्वरितं) विभाति स्तनपृष्ठम् । जल-भूत-जलधरान्तरदरोद्गतं चन्द्रबिम्बमिव ॥) -GS IV. 95 5) Acchii ta thaissam...... __(p. 38) अच्छीइँ ता थइस्सं दोहिँ वि हथेहि तम्मि दिम्मि। अंगं कलंब-कुसुमं व मउलिअं(? पा. भे. पुलइअं) कहँ णु ढक्किस्सं ।। (अक्षिणी तावत् स्थगयिष्यामि द्वाभ्यामपि हस्ताभ्यां तस्मिन्दृष्टे । अङ्गं कदम्ब-कुसुममिव मुकुलितं (पा. भे. पुलकितं) कथं नु छादयिष्यामि ॥) -GS IV. 14 6) Viasiatamaianilam...... (p. 38) विअसिअ-तमाल-णीलं पुणो पुणो चल-तरंग-कर-परिमठें। फुल्लेला-वण-सुरहिं उअहि-गइंदस्स दाणलेहं व ठिअं॥ (विकसित-तमाल-नीलां पुनः पुनश्चल-तरङ्ग-कर-परिमृष्टाम् । फुल्लैलावनसुरभिमुदधिगजेन्द्रस्य दानलेखामिव स्थिताम् ॥) -Setu I. 63 (p. 39) 7) Aha gamia nisasamaam...... अह गमिअ णिसा-समअं गंभीरत्तण-दढ-ट्ठिअम्मि समुद्दे। रोसो राहव-वअणं उप्पाओ चंदमंडलं व विलग्गो ॥ (अथ गमित-निशा-समयं गम्भीरत्व-दृढ-स्थिते समुद्रे । रोषो राघव-वदनमुत्पातश्चन्द्रमण्डलमिव विलग्नः ॥) -Setu V. 13 लगा। 8) Samkhohiakamala saro...... (p. 39) संखोहिअ-कमल-सरो संझाअव-अंब-धाउ-कद्दमिअ-मुहो। ठाण-प्फिडिओ व्द गओ रत्ति भमिऊण पडिणिउत्तो दिअहो॥ (संक्षोभित-कमल-सराः सन्ध्यातप-ताम्र-धातु-कर्दमित-मुखः। स्थान-भ्रष्ट इव गजो रात्रि भ्रमित्वा प्रतिनिवृत्तो दिवसः ॥) -SetuXII. 17
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy