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________________ 583 Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 9) la ņiamiasuggivo...... (p. 40) इअ णिअमिअ-सुग्गीवो रामंतेण वलिओ पिआमह-तणओ। . परिमट्ठ-मेरु-सिहरो सूरहिमुहो व्व पलअधूमुप्पीडो॥ (इति नियमित-सुग्रीवो रामान्तेन वलितः पितामह-तनयः। परिमृष्ट-मेरु-शिखरः सूर्याभिमुख इव प्रलयधूमोत्पीडः॥) -Setu IV. 37 10) Khudiuppadiamunalam...... (p. 40) खुडिउप्पइअ-मुणालं दळूण पिअं व सिढिलिअ-(? सिढिल-)वल णलिणि । महुअरि-महुरुल्लावं महुमअ-अंबं मुहं व घेप्पइ कमलं॥ (खण्डितोत्पतित-मृणालां दृष्ट्वा प्रियामिव शिथिल-वलयां नलिनीम् । मधुकरी-मधुरोल्लापं मधु-मद-तानं मुखमिव गृह्यते कमलम् ॥) -Setu I. 30 (p. 41) 11) Vanadaramasimailaggo...... वणदव-मसि-मइलंगो रेहइ विझो घणेहिँ धवलेहि । खीरोअ-मंथणुच्छलिअ-दुद्ध-सित्तो व्व महु-महणो॥ (वनदव-मषी-मलिनाङ्गो राजते विन्ध्यो घनवलैः । क्षीरोदमन्थनोच्छलित-दुग्ध-सिक्त इव मधुमथनः ॥) -GS II. 17 !2) Muhalaghanavippainnam...... ___(p. 42) मुहल-घण-विप्पइण्णं जल-णिवहं भरिअ (सअल)-णह-महि-विवरं । णइ-मुह-पल्लत्यंत अप्पाण विणिग्गअं जसं व पिअंतं ॥ (मुखर-घन-विप्रकीर्ण जलनिवहं भृत-सकल-नभो-मही-विवरम् । नदीमुखपर्यस्यन्तमात्मनो विनिर्गतं यश इव पिबन्तम् ॥) -Setu II.9 (Calcutta edn); , II. 5 (NS edn) 13) Sarae sarammi pahia...... (p. 43) सरए सरम्मि पहिआ जलाई कंटोट्ट-सुरहि-गंधाइ। धवलच्छाइ सअण्हा पिअंति दइआण व मुहाई ॥ (शरदि सरसि पथिका जलानि नीलोत्पलसुरभिगन्धानि । धवलाच्छानि (धवलाक्षाणि) सतृष्णाः पिबन्ति दयितानामिव मुखानि ॥) -GS VII. 22
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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