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________________ Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 363 115) Dhua-meha-mahuarā0...... (p. 428, v. 47) धुअ-मेह-महुअराओ घणसमआअड्ढिओणअ-विमुक्काओ। णह-पाअव-साहाओ णिअअ-ट्ठाणं व पडिगआओ दिसाओ ॥ (घुत-मेघ-मधुकरा घन-समयाकृष्टावनत-विमुक्ताः । नभःपादप-शाखा निजक-स्थानमिव प्रतिगता दिशः ॥) -Setu I. 19 116) Pina-paohara-laggam...... (p. 429, v. 48) पीण-पओहर-लग्ग दिसाणं पवसंत-जलअ-समअ-विइण्णं । सोहग्ग-पढम-इण्हं पम्माअइ सरस-णहवअं इंदधणुं ॥ (पीन-पयोधर-लग्नं दिशां प्रवसज्जलद-समय-वितीर्णम् । सौभाग्य-प्रथम-चिह्न प्रम्लायति सरस-नखपदमिन्द्रधनुः ॥) -Seiu I. 24 117) Saalujjoia-vasuhe...... __ (p. 431, v. 50) सअलुज्जोइअवसुहे समत्थ-जिअलोअ-वित्थरंत-पआवे । ठाइ ण चिरं रविम्मि व विहाण-पडिआ वि मइलदा सप्पुरिसे ॥ (सकलोद्योतित-वसुधे समस्त-जीव-लोक-विस्तृण्वत्-प्रतापे । तिष्ठति न चिरं रवाविव विधान-पतितापि मलिनता सत्पुरुषे ॥) -Setu III. 31, Calcutta edn III. 32 118) Avvocchin.ra-pasario...... ____(p. 432, v. 52) अव्वोच्छिण्ण-पसरिओ अहिअं उद्धाइ फुरिअ-सूर-च्छाओ। उच्छाहो सुभडाणं विसम-क्खलिओ महाणईण व सोत्तो ॥ (अव्यवच्छिन्न-प्रसृतोऽधिकमुद्धावति स्फुरित-शूर (शौर्य)च्छायः । उत्साहः सुभटानां विषम-स्खलितो महानदीनामिव स्रोतः ॥) -Setu III. 17. Calcutta edn III. 18 119) Visaveo vva pasario...... __ (p. 433, v. 53) विस-वेओ व्व पसरिओ ज जं अहिलेइ बहल-धूमुप्पीडो। सामलइज्जइ तं तं रुहिरं व महोअहिस्स विदुम-वटं/वेढं ॥ (विष-वेग इव प्रसृतो यं यमभिलीयते बहल-धूमोत्पीडः।। श्यामलयति (श्यामलायते)तं तं (तत्तद्) रुधिरमिव महोदविद्रुम-वेष्टम् (पीठम् ) ॥) -Setu V. 50, Calcutta edn V. 52
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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