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Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics
___110) To kumbhaamapadivaana......
(p. 422, v. 38) तो कुंभअण्ण-पडिवअण-दंड-परिघट्टिामरिस-घोर-विसो। गलिअंसुअ-णिम्मोओ जाओ भोसणअरो दसाणण-भुअओ ॥ (ततः कुम्भकर्ण-प्रतिवचन-दण्ड-परिघट्टितामर्ष-घोर-विषः ।
गलितांशुक-निर्मीको जातो भीषणतरो दशानन-भुजगः ॥) 111) Sohai visuddhakirano......
(p. 424, v. 41) सोहइ विसुद्ध-किरणो गअण-समुद्दम्मि रअणि-वेला-लग्गो। तारा-मुत्ता-वअरो फुड-विहडिअ-मेह-सिप्पि-संपुड-विमुक्को ॥ (शोभते विशुद्ध-किरणो गगन-समुद्रे रजनी-वेला-लग्नः । तारा-मुक्ता-प्रकरः स्फुट-विघटित-मेघ-शुक्ति-संपुट-विमुक्तः ॥)
- Setu I. 22 112) Vanaraikesahattha......
(p. 425, v. 42) वणराइ-केस-हत्था कुसुमाउह-सुरहि-संचरंत-धअवडा । ससिअर-मुहुत्त-मेहा तम-पडिहत्था विणेति धूमुप्पीडा ॥ . (वन-राजि-केश-हस्ता कुसुमायुध-सुरभि-संचरद्-ध्वजपटाः।
शशि-कर-मुहूर्त-मेघास्तमःप्रतिहस्ता विनिर्यन्ति धूमोत्पीडाः ॥) , 113) Raiarakesara-nivaham......
(p. 427, v. 45) रइ-अर-केसर-णिवहं सोहइ धवलब्भ-दल-सहस्स-परिगअं । महुमहदंसणजोगं पिआमहुप्पत्ति-पंकअं व णहअलं ॥ (रवि-कर-केसर-निवहं शोभते धवलान-दल-सहस्र-परिगतम् । मधुमथ-दर्शन-योग्यं पितामहोत्पत्ति-पङ्कजमिव नभस्तलम् ॥)
-Setu I. 17 114) Diho diaha-bhuamgo......
(p. 427, v. 46) दोहो दिअह-मुअंगो रइ-बिंब-फणा-मणि-प्पहं विअसंतो। अवरसमुद्दमुवगओ मुंचंतो कंचुअ व घम्मअ-णिवहं ॥ (दी? दिवस-भुजङ्गो रवि-बिम्ब-फणा-मणि-प्रभा विकसमानः । अपर-समुद्रमुपगतो मुञ्चन् कञ्चुकमिव धर्म-निवहम् ॥)