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________________ 312 Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 1484) Dipaavapimjaria...... (p. 1186) दीपाअव-पिंजरिआ कामिणि-हसिअप्पहा परिग्गह-सुहा । होंति गवक्खोवगआ कालाअरु [-दद्ध-] धूसरा ससि-किरणा ॥ (दीपातप-पिञ्जरिताः कामिनी-हसिनप्रभाः परिग्रह-सुखाः । भवन्ति गवाक्षोपगता कालागरु[-दग्ध-]धूसरा शशि-किरणाः ॥) 1485) Goramgautaruniano...... (p. 1186) For this Apabhramsa passage vide Appendix I. 1486) Stjjujjai uvaaro...... (p. 1186) सज्जिज्जइ उवआरो अहो रइ पि पुणो रइज्जइ सअणं । संभरिअ वाणि-अत्था अप्पाहिअ-पत्थिआ बि रुरुभइ दुई ॥ (सज्जीक्रियते उपचारः, अहो रचित्तमपि पुना रच्यते शयनम् । संस्मृत्य वाण्यर्थान्, संदिष्ट-प्रस्थितापि रुध्यते दूती ।) ___ (p. 1186) 1487) Pijjai piam pi muham (?)...... पिज्जइ पो पि महुं, दोसइ दिट्ठो वि दप्पणे अप्पाणो। अणुआण राग-पसरा पुच्छिज्जइ पुच्छिआ पुणो वि पिअ-कहा ॥ (पीयते पीतमपि मधु दृश्यते दृष्टोऽपि दर्पण आत्मा। अनुगानां रागप्रसरा पृच्छ्यते पृष्टा पुनरपि प्रियकथा ॥) 1488) Ajje ulloaraim...... (p. 1187) अंजेइ लोअणाई बंधइ रसणं रएइ तिलआलेक्खं । जाओ होंत-समागम-सुहेक्क-रसिओ वि वाउलो जुअइ-अणो । (अनक्ति लोचने बध्नाति रशनां रचयति तिलकालेख्यम् । जातो भविष्यत्समागम-सुखैकरसिकोऽपि व्याकुलो युवति-जनः ॥) Ettahi uttahe jamtahi...... (p. 1187) 1489) For this Apabhramsa passage vide Appendix I. 1490) Tavaaraanivahue (?)...... (p. 1187) ताव अ रअणि-वहूए परिअत्तंतीए मलिअ-तारा-कुसुमो। जाओ परिमल-पिसुणो उअ णच्चंतो व्व पाअडो पच्चूसो ॥ (तावच्च रजनी-वध्वां परिवर्तमानायां मृदित-तारा-कुसुमः। जातः परिमल-पिशुनः पश्य नृत्यन्निव प्रकटः प्रत्यूषः ॥)
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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