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२. पंचिंदिय सूत्र
सूत्र विभाग २२ sutra part
2. paicindiya sutra
(spiritual rites / right conduct). ४. तपाचार-बाह्य और अभ्यंतर तप में वृद्धि कराने वाला आचार. | 4. tapācāra- Activities leading to increment in external and internal tapa
penance]. ५. वीर्याचार- संयम आदि में वीर्य [बल / पराक्रम / उल्लास की | 5. viryacara-Activities leading to increment of virya virility / strength/valour वृद्धि कराने वाला आचार.
/joy] in sanyama etc. समिति = एकाग्र चित्त से सम्यक् क्रियाओं में प्रवृत्ति.
samiti = Propensity in right activities with full concentration. गप्ति = अनिष्ट प्रवृत्तियों से निवृत्ति.
gupti = Renunciation from harmful activities. पाँच समिति और तीन गुप्ति :
Five samitis and three guptis :१. इर्या समिति- जयणा पूर्वक हितकारी गति से चलना, 1. iryā samiti-To walk with jayaņā (great care with beneficial movement. २. भाषा समिति-जयणा पूर्वक निरवद्य वचन बोलना.
2. bhasa samiti-To speak harmless words with jayanā [great care]. ३. एषणा समिति- जयणा पूर्वक निर्दोष भिक्षा ग्रहण करना. 3. esanā samiti-To take faultless alms with jayaņā. ४.आदानभंडमत्त निक्षेपणा समिति- अवलोकन और प्रतिलेखन कर 4. ādānabhandamatta niksepanā samiti-To take or keep the things with वस्तु को जयणा पूर्वक लेना या रखना.
jayaņā after proper observation and doing pratilekhana. ५. पारिष्ठापनिका समिति-जयणा पूर्वक अनुपयोगी वस्तु और मल- 5.paristhapanikasamiti-Togive up unuseful things and releaseofexcrement मूत्रादि का विसर्जन करना.
etc. with jayana. ६. मन गुप्ति- मन की अशुभ और अनावश्यक प्रवृत्तियों का निग्रह | 6.mana gupti- To control evil and unnecessary propensities of the mind.
करना [रोकना]. ७. वचन गुप्ति- सावद्य और अनावश्यक वाणी का निग्रह करना. | 7. vacana gupti-To restrain harmful and unnecessary speech. प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन - भाग - १
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Pratikramana Sūtra With Explanation - Part - 1
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