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१. नवकार महामंत्र
सूत्र विभाग
६. वाणी सरल होती है.
७. वाणी मालकोश आदि रागों में होती है.
[ ये सात गुण वाणी के शब्दों की अपेक्षा से होते हैं . ]
८. वाणी विशाल अर्थ वाली होती है.
९. वाणी पूर्व वाक्यों और उनके अर्थ के साथ परस्पर विरोध से रहित होती है.
१०. वाणी इष्ट सिद्धांत के अर्थ को कहने वाली और वक्ता की शिष्टता को दर्शाने वाली होती है.
११. वाणी शंका उत्पन्न न करने वाली होती है.
१२. वाणी किसी के भी दूषण प्रगट न करने वाली होती है. १३. वाणी मन में प्रसन्नता उत्पन्न करने वाली होती है. १४. पद और वाक्यों में परस्पर सापेक्षता वाली वाणी होती है. १५. वाणी देश, काल के अनुसार उचित होती है.
१६. वाणी वस्तु स्वरूप के अनुसार होती है. १७. वाणी विषयांतर रहित और संक्षिप्त होती है.
१८. वाणी स्व प्रशंसा और पर निंदा रहित होती है.
१९. वापी प्रतिपाद्य विषय की भूमिका के अनुसार होती है. २०. वाणी स्निग्ध और मधुर होती है.
प्रतिक्रमण सूत्र सह विवेचन भाग १
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sūtra part
6. Sermon will be easy.
7. Sermon will be in musical tune like mālakośa.
1. navakāra mahāmantra
[These seven qualities are in relation to the words of the sermon.]
8. Sermon will be deep in meaning.
9. The Sermon will be without contradiction with previous sentences and their meanings.
10. Sermon will be stating the meaning of desirable principles and will be showing the culture of the speaker.
11. Sermon will not be raising doubts.
12. Sermon will not be disclosing the short comings of any one [living beings]. 13. Sermon will be inducing bliss in the heart.
14. Sermon will have mutual relativity in between the phrases and sentences. 15. Sermon will be appropriate according to the place and time.
16. Sermon will be according to the nature of the subject.
17. Sermon will be without digression and in brief.
18. Sermon will be without self-glorification and censure of others. 19. Sermon will be in accordance with subject matter.
20. Sermon will be fluent and sweet.
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Pratikramaņa Sūtra With Explanation - Part - 1
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