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Bansidhar Bhatt
Jambu-jyoti
+ ...शान्ति निर्वाणपरमान्...
(Gt. 6. 15) (33) ओए अप्पतिट्ठाणस्स खेत्तण्णे...
(Ậc. I. 176) Cp. तदेतदोजश्च महश्चेत्युपासीत...
(Ch. Up. 3. 13. 15) (34) ...कामकामी...सोयति...परितप्पति...
(Ac. I.90) Cp. स शान्तिमाप्नोति न कामकामी...
(Gt. 2.70) (35) ...धूणे (कम्म-) सरीरगं....
(Ac. I. 99, 141, 161) + धूणिय रयमलं...
(Dasa. 9. 3. 15) Cp. ...अश्व इव रोमाणि विधूय पापम्...धूत्वा शरीरम्....कृतात्मा... (Ch. Up. 8. 13. 1) + ते...सर्व एवाधून्वत जरसं तनूनाम्...
(Jm. Br. 2. 398, 3. 255) + ...समाधि-निर्धूतमलस्य...
(Mt. Up. 4.9) + ...सुकृतदुष्कृते धूनुते...
(Ks. Br. Up. 1. 4) (36) ...सो हं (सोहं ?) से आयावादी...
(Ac. I. 2.3) Cp. अयमात्मा सोऽहमस्मि...
(Ch. Up.) + ...अद्वयं पश्यत हंसः सोऽहमिति...
(NsUtt. Up. 9) (37) नातीतमलृ ण य आगमिस्सं अटुं णियच्छंति तथागता उ...
(Ac. I. 124) Cp. अन्यत्र भूताच्च भव्याच्च...
(Kth. Up. 1. 2. 14) + गतासूनगतातूंश्च नानुशोचन्ति पंडिताः...
(Gt. 2.11) (38) संधि लोगस्स जाणित्ता...
(Ac. I. 122, 170) + निव्वाणं संधए मुणि...
(Su. I. 9. 36; 11. 22, 34) Cp. बह्वीः संधा अतिक्रम्य...
(Kth. Up. 3. 1) (39) इहमेगेसि एगचरिया भवति...
(Ac. I. 151, 186) + ...एगे चरे...
(Su. I. 2. 2. 12) + ...तह एगचारी, एगंतमोणेण वियागरेज्जा...
(Su. I. 13. 18) Cp....एकाकी चरेत्...
(Phpv. Up.) + ...योगी रहसि स्थितः, एकाकी...
(Gt. 6. 10) (40) उम्मुंच पासं इह मच्चिएहि...
(Ac. I. 113) + पासबद्धा सरीरिणो..
(Utt. 23. 40) Cp....बालास्ते मृत्यो र्यन्ति विततस्य पाशम...
(Kth. Up. 1.4.2) (41) संति पाणा अंधा तमंसि वियाहिता
(v. L. तमं पविट्ठा)...
(Ac. I. 180) + तमाओ ते तमं जंति...
(Su. I. 1. 1. 14; 3. 1. 11) ...आतदंडा...गंता ते पावलोगयं आसरियं दिसं...
(Su. I. 2. 3. 9) आसूरियं नाम...अंधं तमं..
(Su. I. 5. 11) + निति तमं तमेणं...
(Utt. 14. 12) + ..अंधा...तमं पविट्ठा...
(Bhag. 7.7. 292)
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