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Jainism vis-à-vis Brahmanism
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Cp. असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृताः । ताँस्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जनाः ।।
(Īśa Up. 3) + अन्धं तमः प्रविशन्ति...ततो भूय इव ते तमः...रताः.. (BdA. Up. 4.4. 10; = Isa. Up. 9, 12; Vjsam. 40.9. 12;
SpBr. 14. 7. 2. 13) + अनन्दा नाम ते लोका अंधेन तमसावृताः। ताँस्ते प्रेत्याभिगच्छन्त्यविद्वांसोऽबुधो जनाः॥ (BdA. Up. 4. 4. 11, = Vijsam.40. 3; see Kth. Up. 1.3,
SpBr. 14.7.2.14) + अन्धं तमः...
(Av. 18.3.3) + न हिनस्त्यात्मनात्मानं ततो याति परां गतिम्...
(Gt. 13. 28) (42) सत्ता कामेहिं माणवा..
(Ac. I. 180 = Su. I. 1. 1.6) + आरंभसत्ता पकरेंति संग...
(Ac. I. 62) + अतियच्च सव्वओ संगं...
(Ac. I. 184) + मंदा पकरेह पावं...
(Utt. 12. 39) Cp. तदेव सक्तः सह कर्मणैति... (BdA. Up. 4. 4.6; SpBr. 14. 7. 2. 8) + संगस्तेषूपजायते...
(Gt. 2. 62) + सक्ताः कर्मण्यविद्वांसः...
(Gt. 3. 25) + संगं त्यक्त्वात्मशुद्धये...
(Gt. 5.11) (43) णो पाणिणं पाणे समारंभेज्जासि...
(Ac. I. 121) Cp....प्राणभृतः प्राणं न विच्छिन्द्यात्...
(BdA. Up. 1. 5. 14) (44) ...चेच्चाण भेउर कायं संविहुणिय...भेरवमणुचिण्णे...कालपरियाए... (Ac. I. 228) + संवुडे देहभेदाए...
(Ac. I. 250) [For details, see above Section 1, (24) : the Jaina passages.] . CD.....शरीरमत्सृज्य संन्यासेनैव देहत्यागं करोति, स कृतकृत्यो भवति... (Ndpv. Up.3.86) + ...संन्यासेन देहत्यागं करोति...
(Yv. Up. 1) + ...संन्यासेन देहत्यागं करोति स परमहंसः...
(Jbl. Up. 6) + ...संन्यासेन देहत्याग कुर्वन्ति ते परमहंसाः...
(Bhk. Up) + ...संन्यासेन देहत्यागं करोति स परमहंसपरिव्राजको भवति...
(Phpv. Up.) [For details, see Section 1, (24-25), (57) : the Brahmanical passages.] (45) अंतो अंतो पूतिदेहंतराणि पासति पुढो वि सवंताई...
(Ac. I. 92) + विगिंच मंससोणितं...
(Ac. I. 143) Cp. ...जायस्स म्रियस्वेत्येतत्...तस्माज्जुगुप्सेत...
(Ch. Up. 5. 10.8) + मांस...शोणित...दूषिते...दुर्गन्धे...शरीरे...and + ...अस्थिचर्म...दूषिते विण्मूत्र...संघाते दुर्गन्धे...शरीरे...
(Mt. Up. 1. 2)
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