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________________ अनु. विषय पाना नं. ૩૧૨ ૩૧૨ ૩૧૩ उ१३ २२ शून्य घरों में अथवा निर्थन प्रदेशोंमें लोग भगवान्से विविध प्रश्न पूछते थे, परन्तु भगवान् भौन रहते थे। इसी इली छोछ छोछार पु३ष माहिआ हर लगवान्से पूछते थे, परन्तु भगवान् भौन रहते थे, तम वे शुद्ध हो र भगवान् जो Eऽ भुष्टि आहिसे ताऽते थे;ठिन लगवान् निर्विहार हो र सम सह लेते थे। २३ मारहवीं गाथा छा अवतरा, गाथा और छाया । २४ भगवान्से उभी छोछ पूछता-तुभ औन हो ? तम भगवान् हते मैं भिक्षु हूं। तम वे भगवान् को निहस पाने के लिये छते तज भगवान् वहांसे यले जते । यहि नहीं जनेऊो हते तो भगवान् उषाययुत उन भनुष्योंछे प्रति सभभावसे भौन होडर धर्मध्यानमें संलग्न रहते। २५ तेरहवीं गाथाठा अवतरा, गाथा और छाया। २६ शिशिर ऋतु में पवनडे यलने पर छितने सनगारांपते थे, छितने सनगार उस हिभवातसे जयने के लिये निर्वात स्थानडी जो उरते थे। २७ यौहवीं गाथाछा सवतरा, गाथा और छाया। २८ उस हिभऋतु में हितने सनगार शीतनिवारा लिये संघाटी मोढते थे। परतीर्थितापसाहिधूनी Yता र शीतवारा उरते थे और गृहस्थ लोग विविध प्रहारछे वस्त्र धारा उरते थे। २८ पन्द्रहवीं गाथाछा भवता, गाथा और छाया। उ० भगवान् महावीरने उस शिशिर ऋतुझे हिमवातमें ली अनावृत स्थानमें ही रह र हिमस्पर्शठो सभभावसे सहते थे। उ१ सोलहवीं गाथाठा अवतरा, गाथा और छाया । उ२ भगवान् महावीरने छस प्रठारसह शीतोंठो अनेमार सहा । भगवान्डा उश उसमें यह था सिरे साधु भी उसी प्रहार शीतछा सहन छरें । देश सभाप्ति । उ१७ उ१४ ૩૧૪ 3१४ ૩૧પ ૩૧પ ૩૧૬ ॥छति द्वितीय देश संपूर्ण ॥ श्री मायासंग सूत्र : 3
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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