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________________ अनु. विषय ॥ अथ तृतीय उद्देश ॥ १ तृतीय अशा द्वितीय उद्देशडे साथ सम्जन्धऽथन, प्रथभ गाथाडा अवता, गाथा और छाया । २ भगवान् सर्वा सभी प्रकारडे स्पर्शो ो सहते थे । 3 द्वितीय गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ४ लगवान्ने हुश्चर लाढ हेशडी व भूमि और शुलभूमि में विहार प्रिया | वहां अन्तप्रान्त शय्या जाहिडा उन्होंने सेवन प्रिया । पाना नं. 4 तृतीय गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । साढ देशमें वहांडे लोगोंने लगवान् जहुत उपसर्ग प्रिये । डितनेऽ तो भगवान् डी ताडना डरते थे, और हुत्ते भगवान् डाटते थे और गिरा पर उनके उपर यढ जैठते थे । ७ यौथी गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ८ जहुत थोडे जेसे लोग थे ने हिंसऽ मनुष्योंडो और डाटते हुने हुत्तों प्रो रोते थे; अधिङतर तो जेसे ही मनुष्य थे भे भगवान् प्रो ताडन डरके उन पर हुत्तों प्रो हुल्झाते थे । ← पांयवीं गाथाडा अवतरा, और छाया । १० लाढ देशडी व लूमिठे लोग तुच्छअन्न लोभ और डूर स्वभाव थे । वहां पर अन्यतैर्थिङ श्रभाा लाठी और नासिका से डर विहार डरते थे । ११ छठी गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १२ उस साढहेशमें लाठी और नासिका से डर यद्यपि जनय तैर्थिऽ श्रमा विहार डरते थे तो भी उन्हें हुत्ते छाट लेते थे । यह लाढ वस्तुतः जड़ा ही हुश्चर था । १३ सातवीं गाथा प्रा अवता, गाथा और छाया । १४ भगवान् साढहेशडी उस जनर्य भूमिमें ली डंडे जाहि विना ही वियर रते हुये सभी प्रकारडे उपसर्गो को सहे । १५ आठवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १६ संग्राम डे अग्रभागमें हाथी वैसे शत्रुसेनाझे भूत र उस पारगामी होता है उसी प्रकार भगवान् ली परीषहोपसर्गोडो શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩ ૩૧૬ ૩૧૬ ३१७ ३१७ ३१७ ३१७ ३१८ १८ ३१८ ३१८ २० ३२० ३२० ૩૨૧ ૪૫
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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