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________________ अनु. विषय १४ सातवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १५ गृहस्थ लोग लगवान् डे पास रोडत्रित होते तो वे उनकी जोर लक्ष न हे डर अपने ध्यान में ही भग्न रहते । यहि वे गृहस्थ उनसे कुछ पूछते तो युपयाप वहांसे यस हेते । वे ध्यान से ली ली वियलित नहीं होते । पाना नं. १६ आठवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । १७ भगवान्डो प्रो अलिवाहन डरता था तो वे उससे प्रसन्नता नहीं प्रगट डरते थे, और यहि हो अलिवाहन न पुरे तो उस पर क्रुद्ध भी नहीं होते थे । अनार्य देशों में भगवान् डो यहि प्रो ताडन आहि डरता तो ली उनडा लाव प्रलुषित नहीं होता । १८ नवभी गाथाडा अवता, गाथा और छाया । १८ भगवान् महावीरस्वामी उठोर वयनोंो सहते थे, नृत्य, गीत, एऽयुद्ध और मुष्टियुद्ध जाोि सुनने और हेजने डे लिये उन्हें हुतूहलता नहीं होती । २० हसवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । २१ भगवान्‌ने ऽली डली परस्पर प्राम थामें संलग्न स्त्रियोंडो हेजा, परन्तु उन्हें राग नहीं हुआ । लगवान् ने संयमडी आराधनानिमित्त परीषहोपसर्गो प्रो कुछ भी नहीं गिना । २२ ग्यारहवी गाथाडा अवतरएा, गाथा और छाया । २३ भगवान् साधि हो वर्ष सयित GST परित्याग र खेत्व भावना लाते और ोध छोडते हुने, सभ्यस्त्वभावना जेवं शान्ति से युक्त हो र प्रव्रभ्या ग्रहा डी। २४ जारहवीं गाथाङा अवतरा, गाथा और छाया । २५ भगवान् षड्भुवनिप्रायोंडे स्व३पडो भन पर उनके आरम्भ डा परिहार डरते हुने वियरते थे । २६ तेरहवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । २७ ये पृथिवी जाहि षड्भुवनिप्राय सथित हैं। जेसा विचार डर उनके स्वरूप और लेह - प्रलेोंडो भन पर उनके आरम्भ हो परिवर्तित र वियरते थे । २८ यौवीं गाथाडा अवतरएा, गाथा और छाया । શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩ २८७ २८७ २८७ २८७ २८८ २८८ २८८ ૨૯૯ २८८ ૨૯૯ ૨૯૯ ३०० ३०० ३०० ३०० ४०
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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