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________________ अनु. विषय पाना नं. ॥अथ नवभ मध्ययन ॥ (प्रथम Gटेश) ૨૯૩ १ नवभ मध्ययनका पूर्वोऽत मध्ययनों साथ सम्मन्धप्रतिपाहन, उपधानश्रुत शठी वयाज्या, अध्ययनछे यारों देशोंमें आये हुसे विषयोंडा हिर्शन। २८२ २ प्रथम गाथाठा सवतरा, गाथा और छाया। ૨૯૩ उभगवान् महावीरस्वाभीयरित्रवान का प्रस्ताव।। भगवान् महावीस्वाभी उत्थित हो प्रवश्याठासो मन र हेमन्त ऋतु में प्रव्रषित हुभे, और प्रवश्या ग्रहार तुरन्त ही वहां से विहार ठिये। ૨૩ ४ दूसरी गाथाहा अवतरा, गाथा और छाया । ५ भगवान्ने प्ले वस्त्र धारा ध्यिा था वह तीर्थरपरम्पराठे रक्षार्थ; नहीं टिभन्तऋतु में शरीरप्रयाहन निमित्त । ૨૯૪ ६ तीसरी गाथाहा अवतरा, गाथा और छाया। ૨૯૪ ७ भगवान् शरीरपर भ्रभराहि प्राशी छ अधियार महीनों त यन्टनाहिठी गन्धसे आकृष्ट हो र वियरते थे और रज्तभांसठी अभिलाषासे उनछे शरीरछो ऽसते थे। ૨૯પ ८ यौथी गाथाठा अवतरा, गाथा और छाया। ૨૯પ ८ भगवान्ने मे वर्षसे पुछ अधिछ छाल तवस्त्र धारा ठिया, उसछे आहवस्त्र त्याग र वे अयेल हो गये। ૨૯પ १० पायवीं गाथाहा अवतरा, गाथा और छाया। ૨૯પ ११ भगवान् स रास्ता विहार रते थे तो मासग उन्हें हेज र धूलि-पत्थर आEिठा प्रक्षेप उरते थे, और उनछो हेजने के लिये दूसरे मासोंठो भी सुलाते थे। ૨૯૬ १२ छठी गाथाठा अवतरा, गाथा और छाया । ૨૯૬ १३ भगवान् म ठिसी वासस्थानमें विराते थे, Yहां छिस्त्री पुष आहिसभी रात्रिवासछे लिये ठहरते थे। वहां ठिसी स्त्रीद्वारा प्रार्थित होने पर भी भगवान् उनही प्रार्थना स्वीकार नहीं डरते, अपि तु संयभ भार्ग में अपनी आत्भाछो स्थापित र ध्यान रते थे। ૨૯૬ श्री मायासंग सूत्र : 3
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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