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________________ अनु. विषय ४३ जासवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ४४ छैन परीषहोपसर्गो प्रो तो यावीवन सहना ही है जेसा वियार डर शरीर परित्यागनिमित्त, सडल शारीरि व्यापारसे रहित हो डर पाहयोपगमनभर विधिज्ञ वह मुनि सली परीषहोपसर्गो प्रो सहे । ४५ तेसवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ४६ यह मुनि जेहि प्राभलोगोंडा अनुरागी न जने, और मोक्ष स्व३पडा पर्यालोयन डर छन्द्राहि हेव होंडी ली अभिलाषा न रे । ४७ यौवीसवीं गाथाडा अवतरा; गाथा और छाया । ४८ यहि राम भुवनपर्यन्त निर्वाहडे लिये धनाहिङ प्रधान डरे, और प्रो हेव हिव्य ऋद्धि हेने लिये प्रगट होवे तो ली मुनि अपने तपो जएिडत नहीं उरे । वह भुनि राहत स्वर्यो और हेवहत्त हिव्य ऋद्धिो आत्भऽल्याएा हे प्रतिहूल भन पर ज्ञानावरश्रीयाहि सभी प्रो विनष्ट रे । ४८ पय्चीसवीं गाथाडा अवतरा, गाथा और छाया । ५० पांचों प्रडारडे शाहियों में अथवा उनके साध धनों में गृद्धि छोड र मुनि पायोपगमन भएासे खायुडाला पारगामी होवे । मुनि तितिक्षाको उत्कृष्ट सम डर लतपरिज्ञा, छंगितमा और पाहयोपगमन, धन तीनों में से डिसी जेऽङो अपनी शक्ति अनुसार स्वीकार डरे; ज्यों डिये तीनों ही निर्भराडार हैं । अष्टम उहैशडी समाप्ति । ५१ अध्ययनस्थ विषयोंा उपसंहार । ॥ इति अष्टभ अध्ययन ॥ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩ पाना नं. * २८८ २८८ २८८ २८८ २८८ २८८ २८८ ૨૯૦ ૨૯૦ ३८
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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