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________________ अनु. विषय पाना नं. ॥अथ यतुर्थ देश ॥ ર૪૯ २४८ ૨પ૧ १ यतुर्थ शठा तृतीय शझे साथ सम्पन्धप्रतिपाहन, प्रथम सूचना भवता , प्रथम सूत्र और छाया । २ भुनिछो तीन वस्त्र-और यौथा पात्र हा रजना उत्पता है। छस प्रठारछे साधुठो यह भावना नहीं होती है छियौथे वस्त्रठी यायना गा । साधु भेषागीय वस्त्रठी यायना उरते हैं, पैसा वस्त्र मिल जाता है उसीठो धारा करते हैं, वस्त्रोंठो धोते नहीं हैं और रंगते ही हैं। साधु धौतरत वस्नछो धारा नहीं उरते हैं। वे उभी भी वस्त्रोंटो छिपाते नहीं; ज्यों टिउनछा वस्त्र और भलिन होनेडे द्वारा मूल्यवान नहीं होता है । उस प्रकार साधु ग्राभान्तरों में निर्द्धन्द्ध वियरते हैं। वस्त्रधारी साधुसोंडी यही तीन वस्त्र और यौथा पान३५ साभग्री होती है। 3 द्वितीय सूत्रमा अवतररारा, द्वितीय सूत्र और छाया। ४ हेमन्त ऋतुझे जीतने पर ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भमें साधु छो मर्श वस्त्रोठा परित्याग र हेना चाहिये । अथवा शीतसभय जीतने पर भी क्षेत्र, हाल और पु३ष स्वभावडे धारा यहि शीतजाधा हो तो तीनों वस्त्रोंठो धारा रे, अर्थात्- शीत लगने पर तीनों वस्त्रोंछो धारणा रे, शीत न लगे और सही आशंछा हो तो अपने पास रजे, त्यागे नहीं । अथवा शीतष्ठी सत्यतामें सेठ वस्छो धारा रे, और शीत जिमुल ही न रहे तन सयेल अर्थात् प्रावगवस्त्र रहित हो जय । इस प्रहारसे भुनिझी आत्मा लधुतासे युध्त हो जाती है। इस प्रहारसे वस्त्रत्याग रनेवाले भुनिछो छायटिलेशनाभतप भी होता है। ५ तृतीय सूत्रमा अवतरा, तृतीय सूत्र और छाया । ६ यह सम भगवान् महावीरने छहा है; उस लिये भुनि उस सजा अरछी तरह वियार र सयेल और सयेल अवस्थाओं में साभ्यभाव ही रखें। ७ यतुर्थ सूचछा अवतरा, यतुर्थ सूत्र और छाया। ૨પ૧ ૨પર ૨પર ૨પર श्री. साया माचारागसूत्र: उ सूत्र : 3 २८
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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