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________________ अनु. विषय पाना नं. मनुभोहन नहीं डर सता । उस प्रहार निश्चय हरडे साधुभाडामें व्यवस्थित, प्रामातिपातसे भयभीत तुभ, उस अनर्थर प्राशातिपातनहिप हएऽछा, अथवा अन्य Eऽ छा सभारम्ल भी नहीं रना । ૨૩૩ ॥छति प्रथभ श॥ ॥अथ द्वितीय टेश ॥ २३४ ૨૩૪ २३६ १ द्वितीय शठा प्रथभ देशळे साथ सम्पन्धथन, प्रथम सूत्र और उसष्ठी छाया । २ श्मशान आधिमें स्थितसाधुलो सम्धनीय अशनाछि लेनेठे लिये यहि छोछ गृहपति आग्रह रे तो साधु उसळे आग्रहठो छली भी नहीं स्वीठारे । 3 द्वितीय सूत्रछा अवतरश, द्वितीय सूत्र और छाया । ४ उस साधु सभीष आ हर छोछ गृहपति उस साधुठो, महत्पनीय अशन आहिला र हेवे, या रहनेछे लिये महत्पनीय उपाश्रय हेवे, तो साधुठो याहिये डिवह उस गृहपतिठे वयनोंठो उभी भी स्वीटार नहीं छरे । ५ तृतीय सूत्रछा अवता , तृतीय सूत्र और छाया। ६ श्मशानाधिस्थित साधुळे, गृहपतिद्वारा प्रत्त सत्पनीय मशनाहिछन लेने पर, यहि वे गृहपति उस साधुठी ताऽना माहिउरें तो साधु उस ताऽनाहिन्छो शान्तिपूर्वसहन रे। अथवा वह साधु उस गृहपतिछे सम्यग्दृष्टित्व और भिथ्यादृष्टि छा अनुभान र, यहि वह सभ्यद्रष्टी हो तो उसे साधु आयार हा परिज्ञान रावे । अथवा-यहिजे यिह गृहपति भिथ्याद्रष्टी है तो छुछ भी नहीं हे। युप-याप उसडे द्वारा ध्येि गये उपसर्गो छो शान्तथित हो र सहे। ७ यतुर्थ सूत्रछा सवतरा, यतुर्थ सूत्र और छाया। २३७ २३८ ૨૩૮ २४० શ્રી આચારાંગ સૂત્ર ૩ २६
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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