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________________ अनु. विषय पाना नं. ૨૧ ૧ २१ ग्यारहवें सूचना अवता , ग्यारहवां सूत्र और छाया। २२ छस औधारिआदि शरीर विनाशठो तीर्थरोंने संग्राभष्ठा अग्र भाग छहा है। भुनियन ज्ञानाथाराधि नौडाडा अवलम्सन र संसार महासागरछे पारणाभी होते हैं। परीषह और उपसर्गोसे हन्यभान भुनि, रागद्वेषरहित अपने भरागालसे अभिज्ञ हो र मारह वर्षष्ठी संजनासे शरीरछा संलेजन उरलतप्रत्याभ्यान आधिभेसे टिसी से भरासे अपने भाछालठी प्रतीक्षा उरें। इस प्रकार भुनि सहल भक्षय र भोक्षगाभी होते हैं। २३ अध्ययनविषयोपसंहार । ૨૧૨ ૨૧૪ ॥ति षष्ठ अध्ययन ॥ ॥अथ अष्टभ अध्ययन ॥ (भ्रथम Gटेश) ૨૧પ ૨૧૬ ૨૧૭ २१८ १ सक्षम अध्ययन विरछठा छारा । २ अष्टभ अध्ययनछा उपोद्घात । उ अष्टभ अध्ययन में प्रतिपाति विषयोंडा देशभसे संक्षेपतः ज्थन । ४ प्रथम सूचा अवता , प्रथम सूत्र और उसठी छाया । ५ अवसन्न पार्श्वस्थ आहिस्वभतावलम्मियोंछा और शाज्याहि परमतावलम्लियोंठो, साधु उभी भी आहार माहि न हेवे, न उन्हें निभन्त्रित रे, और न उनछी शुश्रुषा ही रे। ६ द्वितीय सूत्रछा सवतरा, द्वितीय सूत्र और छाया। ७ अवसन्न पार्श्वस्थाठि स्वभतावलम्मियोंद्वारा और शाध्याहि परभतावलम्सियोंद्वारा आहाराहि निभित्त आमन्त्रित होने पर साधु, उनी भी उनछे आभन्यायाछा स्वीछार न रे। ૨૧૮ ૨૧૮ ૨૧૯ श्री. आयासूत्र : 3 २४
SR No.006403
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size11 MB
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