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अनु. विषय
ली वस्तुडी अलिताषा नहीं डरता । मोक्षप्राप्ति के लिये धुतये मुनि मनुष्यतोऽमें रहता हुआ भी भवोंडी जागति और गतिको भनडर भन्भ भएराडे मार्गका उल्लंधन डर भता है, अर्थात् भुत हो भता है ।
१२ छठे सूत्रा अवतरा, छठा सूत्र और छाया ।
१३ सिद्धावस्थाका वनि ।
१४ सप्तभ सूत्रडा अवता, सप्तम सुत्र और छाया । १५ भुतात्मा भवों वएर्शन ।
॥ इति षष्ठ उद्देश ॥
॥ इति प्रश्र्चम अध्ययन सम्पूर्ण ॥ ५ ॥
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॥ अथ षष्ठ अध्ययन ॥
पाना नं.
१ प्रश्र्चम अध्ययनडे साथ षष्ठ अध्ययनमा सम्जन्धन्थन । धूत शहा अर्थ और लेह । इस अध्ययन पायों उशों में प्रतिपाध विषयोंडा भि5 वर्शन । प्रथम सूत्रा अवतरएा, प्रथम सूत्र और छाया ।
२ न मनुष्यों में भे मनुष्य सम्यग्ज्ञानवान् है, वे ही अन्य मनुष्यों से लिये सम्यग्ज्ञाना उपदेश देते हैं । वे सम्यग्ज्ञानी ठेवली और श्रुतठेवली होते हैं । जेन्द्रियाहि भुवोंडो यथार्थ३पसे भनते हैं । वे ही स अनुपम सम्यग्ज्ञानके उपदेश होते हैं ।
वे
3 द्वितीय सूत्रा अवतरा, द्वितीय सूत्र और छाया । ४ तीर्थंडर गएाधर सहि, हिंसानिवृत, धर्मायएराडे लिये उधत और हेयो पाहेयमुद्धियुक्त मनुष्योंके लिये मुस्तिमार्गमा उपदेश देते हैं । न उपदेश प्राप्त लोगों में तिने महावीर शत्रुओं के नाशार्थ पराभ डरते हैं । नसे भिन्न मोहविवश प्राशी डिभिडी जुद्धि अन्यत्र लगी हुई है, वे विषायुक्त रहते है ।
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩
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