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________________ 4 सभ्यत्त्वडी स्थिति । ( सभ्यत्त्व प्राहुर्भावडी व्यवस्था । ७ सम्यङत्त्वा जन्तरSI । ८ सभ्यत्त्वा इल । ← सभ्यत्वप्राप्रिता द्रुभ । १० सभ्यत्वमोहनीया स्व३प । ११ मिश्रमोहनीय | १२ मिथ्यात्वभोहनीय | १३ प्रथम सूत्रठा अवतरा और प्रथम सूत्र । १४ सली तीर्थरोंद्वारा प्रतिपाहन सभ्यत्वा नि३पएा । १५ द्वितीय सूत्रा अवतरा और द्वितीय सूत्र । १६ यह सर्वप्रायातिपातविरमगाहिय धर्म-शुद्ध, नित्य और शास्वत है । स धर्मो लगवान् ने षड्भुवनिप्राय३प लोङको हुःज - हावानलडे अन्दर सते हुने हेजर प्र३पित डिया है । लगवान् ने स धर्मा प्र३पा उत्थित अनुत्थित जाहि सजोंडे लिये प्रिया है । १७ तृतीय सूत्रा अवतरा और तृतीय सूत्र । १८ लगवाना वथन सत्य ही है, लगवान् ने वस्तुप्रा स्व३प भिस प्रकार प्रतिपाघ्न डिया है वह वस्तु वैसी ही है-इस प्रकार श्रद्धानतक्षा सभ्यत्वा प्रतिपाहन ठेवल आर्हतागभ में ही उहा गया है; अन्यत्र नहीं ! १८ यतुर्थ सूत्रा अवतरा और यतुर्थ सूत्र । २० उस सभ्यत्वको प्राप्त डर, धर्मो उपदेश-जाहि उपायद्वारा भन र सभ्यत्त्वको प्रशम-संवेगाद्विारा प्रप्राशित डरे, सभ्यङत्त्वा परित्याग न डरे । २१ प्रश्र्चम सूत्रा अवतरा और प्रश्र्चम सूत्र । २२ जेहिए और पार सौडिए ष्टि-अनिष्ट शहाहि विषयों में वैराग्य रजे । २३ छठा सूत्र । २४ सोष न डरे । २५ सातवें सूत्रा अवतरा और सातवां सूत्र । २६ सोलोषणा नहीं है उसको सावध-व्यापारमें प्रवृति हांसे हो ! अथवा - भिसो यह सभ्यत्वपरिएराति नहीं है सो सावधानुष्ठानसे रहित डरनेवाली विवेऽयुत परिएराति प्रहांसे हो ! શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨ ૨૬૪ ૨૬૪ ૨૬૫ ૨૬૫ २७७ ૨૮૨ २८३ २८३ २८४ २८७ २८८ २८८ २८० २८० ૨૮૧ ૨૯૧ ૨૯૨ ૨૯૨ ૨૯૩ ૨૮૩ ૨૯૩ ૨૯૩ २०
SR No.006402
Book TitleAgam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi Gujarati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1957
Total Pages344
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size13 MB
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