________________
३६४
तत्त्वार्थसूत्रे चउविहे पण्णत्ते,तं जहा-णेरइयाउए, तिरिक्खआउए, मणुस्साउए, देवाउए, । आयुष्यं खलु भदन्त ! कर्म कतिविधं प्रज्ञप्तम् गौतम ! चतुर्विधम् प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-नैरयिकायुष्यंतियेगायुष्यं-मनुष्यायुष्यं-देवायुष्यम् ।
नाम-द्विचत्वारिंशद्विधम् , उक्तञ्च तत्रव-"णाम णं भंते १ कम्मे कइविहे पण्णत्ते-३ गोयमा ! वायालीसविहे पण्णत्ते, तंजहा-गतिणामे-१ जातिणामे-२ सरीरणामे-३ सरीरोवंगणामे-४ सरीबंधणणामे-५ सरीरसंघयणणामे-६ संघायणणामे-७ संठाणणामे-८ वण्णणामे-९गंधणामे-१० सणामे-११ फासणामे-१२ अगुरुलघुणामे-१३ उवघायणामे-१४ पराघायणामे-१५ आणुपुब्बीणामे-१६ उस्सासणामे-१७ आयवणणामे-१८ उज्जोयणामे-१९ विहायगइणामे-२० तसणामे-२१ थावरणामे-२२ सुहुमणामे-२३ बादरणामे-२४ पज्जत्तणामे-२५ अपज्जत्तणामे-२६ साहारणसरीरणामे-२७ पत्तेयसरीरणामे-२८ थिरणामे-२९ अथिरणामे-३० सुभणामे-३१ असुभणामे-३२ सुभगणामे-३३ दुभगणामे-३४ सूसरणामे-३५ दूसरणामे-३६ आदेज्जणामे-३७ अणादेज्जणामे-३८ जसोकित्तिणामे-३९ अजसोकित्तिणामे-४० णिम्माणणामे-४१ तित्थगरणामे-४२
छाया-नाम खलु भदन्त-१ कर्म कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! द्विचात्वारिंशद्विधं प्रज्ञप्तम् , तद्यथा--गतिनाम--१ जातिनाम--२ शरीरनाम--३ शरीरोपाङ्गनाम-४शरीरबन्धननाम--५ शरीरसंहनननाम--६ संघातननाम--७ संस्थाननाम-८ वर्णनाम–९ गन्धनाम-१० रसनाम--११ स्पर्शनाम--१२ अगुरुलघुनाम--१३ उपघातनाम--१४ पराघातनाम--१५ आनुपूर्वीनाम--१६ उच्छ्वासनाम--१७ आतपनाम--१८ उद्योतनाम--१९ विहायोगतिनाम--२० त्रसनाम-२१ स्थावरनाम--२२ सूक्ष्मनाम-२३ बादरनाम--२४ पर्याप्तनाम--२५ अपर्याप्तनाम--२६ साधारण
प्रश्न-भगवन् ! आयु कर्म कितने प्रकार का कहा है ? उत्तर-गौतम ! चार प्रकार का कहा है- नैरयिकायु, तिर्यगायु, मनुष्यायु और देवायु
नामकर्म के बयालीस भेद हैं। उसी स्थान पर कहा हैप्रश्न--भगवन् ! नामकर्म कितने प्रकार का कहा है ?
उत्तर-गौतम ! बयालीस प्रकार का कहा है यथा- (१) गतिनाम (२) जातिनाम (३) शरीर नाम (४) शरीरयोग नाम (५) शरीर बन्धन नाम (६) शरीर संहनन नाम (७) संघात नाम (८) संस्थान नाम (९) वर्णनाम (१०) गंधनाम (११) रसनाम (१२) स्पर्श नाम (१३) अगुरुलधुनाम (१४) उपघात नाम (१५) पराघात नाम (१६) आनुपूर्वीनाम (१७) उच्छ्वास नाम (१८) आतप नाम (१९) सूक्ष्मनाम (२०) विहायोगतिनाम (२१) त्रस नाम (२२) (२३) स्थावर नाम (२३) सूक्ष्म नाम (२४) बादर नाम (२५) पर्याप्तनाम (२६) अपर्याप्त
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧