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श्रीकल्पसूत्रे ॥३३६||
हृदयमर्मा - कारुण्यवर्मणा दयारूपकवचेन संरक्षितं सम्यग्रक्षितं हृदयमर्म यस्याः सा तादृशी, तथा नवतत्वपञ्चविंशतिक्रियाविदुषी - नव-नवसंख्यानि यानि तत्त्वानि = जीवाजीवपुण्यपापास्त्रत्रसंवरनिर्जराबन्धमोक्षरूपाणि-परमार्थभूतानि तानि तथा पञ्चविंशतिः क्रियाः - मिथ्याक्रिया १, प्रयोगक्रिया २, समुदानक्रिया ३, ईर्यापथिकी ४, कायिकी ५, अधिकरणक्रिया ६, प्राद्वेषिकी७, परितापनिका ८, प्राणातिपातक्रिया९. दर्शनक्रिया १०, स्पर्शनक्रिया ११, सामन्तक्रिया १२, अनुपातक्रिया १३, अनाभोगक्रिया १४, स्वहस्तक्रिया १५, निसर्गक्रिया १६, विदारणक्रिया १७, आज्ञापनक्रिया १८, अनाकाङ्क्षक्रिया १९, आरम्भक्रिया २०, परिग्रहक्रिया २१, मायाक्रिया २२, रागक्रिया २३, द्वेषक्रिया २४, अप्रत्याख्यानक्रिया २५, चेति ताः विदुषी - विदन्ती आसीत् । तथा-द्वादशव्रतम् - द्वादशानामुपासकका मर्म करुणा के कवच से भलीभाँति सुरक्षित था अर्थात् उसका हृदय करुणा से युक्त था । (१) जीव, (२) अजीव, (३) पुण्य, (४) पाप, (५) आस्रव, (६) संवर, (७) निर्जरा, (८) बन्ध और (९) मोक्ष, इन at aai अर्थात् परमार्थरूप पदार्थों की तथा पच्चीस क्रियाओंकी वह जानकार थी । पच्चीस क्रियाएँ ये हैं(१) मिथ्याक्रिया, (२) प्रयोगक्रिया, (३) समुदानक्रिया, (४) ईर्यापथिकी क्रिया, (५) कायिकीक्रिया, (६) अधिकरणक्रिया, (७) प्राद्वेषिकी क्रिया, (८) परितापनिक क्रिया, (९) प्राणातिपातक्रिया, (१०) दर्शनक्रिया, (११) स्पर्शनक्रिया, (१२) सामन्तक्रिया, (१३) अनुपातक्रिया, (१४) अनाभोगक्रिया, (१५) स्वहस्तक्रिया, (१६) निसर्गक्रिया, (१७) विदारणक्रिया, (१८) आज्ञापनक्रिया, (१९) अनाकांक्षक्रिया, (२०) आरंभक्रिया, (२१) परिग्रहक्रिया, (२२) मायाक्रिया, (२३) रागक्रिया, (२४) द्वेषक्रिया, (२५) अप्रत्याख्यानक्रिया; त्रिशला महारानी इन सब क्रियाओं को जानती थी। उन्होंने बारह व्रतों को - उपासकदशांगसूत्र में कथित स्थूलથનારી હતી. તેના હદયને! મમ કરુણાના બખતર વડે સારી રીતે સુરક્ષિત હતા. એટલે કે તેનુ હૃદય કરુણાવાળુ हतु. (१), (२) अलव (3) एय, (४) पाय, (4) याखव (१) संवर. (७) निरा, (८) जन्मने (૯) મેાક્ષ. એ નવ તત્ત્વા એટલે કે પરમાર્થરૂપ પદાર્થોની તથા પચ્ચીશ ક્રિયાઓની જાણકાર હતી. તે પચ્ચીશ ક્યિા या प्रमाणे छे— (१) मिथ्याडिया, (२) प्रयोग दिया, (3) समुहान डिया, (४) यापथिमीडिया, (4) अयिठी डिया, (६) अधिरा दिया, (७) आद्वेषिडी डिया, (८) परितापनि डिया, (८) प्रणातियात डिया, (१०) दर्शन दिया (११) स्पर्शन दिया, (१२) सामन्त डिया, (१३) अनुपात डिया, (१४) अनालोग ड़िया, (१५) स्वहस्त दिया. (१६) निसर्ग डिया, (१७) विहार डिया, (१८) आज्ञापन डिया, (१८) मनाांक्ष डिया, (२०) आरंभ दिया, (२१) परिग्रह डिया, (२२) भाया दिया, (२३) राग प्रिया, (२४) द्वेष डिया, (२५) अप्रत्याभ्यान डिया. त्रिशला
શ્રી કલ્પ સૂત્ર : ૦૧
河冰淇淇滨
कल्प
मञ्जरी टीका
त्रिशलाराज्ञीवर्णनम्
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