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प्रियदर्शिनी टोका अ. ३६ देवानामायुःस्थितिनिरूपणम्
९२७ सागरोपम की है और (जहन्नेण-साहियं पलियोवमं-जघन्येन साधिकम् पल्योपमम् ) जघन्य स्थिति पल्योपमसे कुछ अधिक है ॥२२२॥ (सणंकुमारे-सनत्कुमारे) सनत्कुमार नामके स्वर्गलोकमें (सत्त सागराणि उक्कोसेणं ठिई भवे-सप्तसागरान् उत्कर्षेण स्थिति भवति) सात सागरोपमकी उत्कृष्ट स्थिति है तथा (जहन्नेणं दुन्नि सागरोवमा-जघन्येन द्वे सागरोपमे)जघन्य स्थिति दो सागरोपमकी है।।२२३॥ (माहिंदम्मि-माहेन्द्र) माहेन्द्र नामके देवलोकमें ( सत्तसागरा-सप्तसागरान्) सात सागरसे (साहिया-साधिकान् ) कुछ अधिक (उक्कोसेण ठिई भवे-उत्कर्षेण स्थिति र्भवति) उत्कृष्ट स्थिति है तथा (जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरौ-जघन्येन साधिको द्वौ सागरौ) जघन्य स्थिति कुछ अधिक दो सागरोपमकी है।२२४। (बंभलोए-ब्रह्मलोके) ब्रह्मलोक नामके देवलोकमें (दसचेव सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे-दशैव सागरान् उत्कर्षेण स्थितिः भवति) दश सागरोपमकी उत्कृष्ट स्थिति है। और (जहन्नेणं सत्तसागरोवमा-जघन्येन सप्त सागरोपमाणि) जघन्यस्थिति सात सागरोपमकी है ॥२२५॥ (लंतगम्मिलान्तके) लान्तक नामके देवलोकमें (उक्कोसेण-उत्कर्षण) उत्कृष्ट (ठिईस्थितिः) स्थिति (चउदस सागराइं भवे-चतुर्दश सागरान् भवति ) यमनी भने जहन्नणं सांहियं पलियोवम-जघन्येन साधिकम् पल्योपमम् १४५न्य સ્થિતિ પલ્યોપમથી થોડી વધારે છે. જે ૨૨૨ છે
मन्वयार्थ-सर्णकुमारे-सनत्कुमारे समतभार नाभना स्वाभां सत्तसागराणि उक्कोसेण ठिईभवे-सप्तसागरानि उत्कर्षेण स्थितिर्भवति अष्ट स्थिति સાત સાગરેપની છે તથા જઘન્ય સ્થિતિ બે સાગરોપમની છે. જે ૨૨૩ છે
मक्यार्थ-माहिदमि-माहेन्द्रे भाडेन्द्र नामना Tai सत्तसागरासप्तसागरान् सात सारथी साहिया-साधिकान् थाडी पधारे उक्कोसेण ठिईभवेउत्कर्षेण स्थितिर्भवति ट स्थिति छ. जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरा-जघन्येन साधिकौ द्वौ सागरौ धन्य स्थिति में सागरे।५मथी is qधारे छ. ॥२२४॥
अन्वयार्थ-बंभलोए-ब्रह्मलोके प्रो नामना पक्षमा दसचेव सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे-द्वशैव सागरान् उत्कर्षेण स्थितिः भवति इस सागरेमनी Gष्ट स्थिति छे. जहन्नेणं सत्तसागरोवमा-जघन्येन सप्तसागरोपमाणि ४धन्य સ્થિતિ સાત સાગરોપમની છે. જે ૨૨૫ છે
अन्वयार्थ-लंतगम्मि-लान्तके alrd नामना वम उक्कोसेण-उत्कर्षेण Segv८ ठिई-स्थितिः स्थिति चउद्दस सागरोवमाई भवे-चतुर्दशसागरान् भवति
उत्त२॥ध्ययन सूत्र:४