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________________ मुनिहर्षिणी टीका अ. ६ नास्तिकवादिवर्णनम् १८९ इति भाषायाम् , स्यन्दमानिका पुरुषप्रमाणावकाशदायिदी? द्विहस्तप्रमाण चतुरस्रवेदिकोपशोभितगोल्ल देशप्रसिद्धः जम्पानविशेषः, शयनानि-पल्यङ्कादीनि आसनानि पीठफलकादीनि, यानं-सामान्यतो गमनसाधनम् , वाहनं गजाश्चादिरूपम् , भोजनम् अशनादिकम, प्रविस्तरः कलशस्थाल्याधुपकरणसमूहः, तेषां विधितःकरणात् यावज्जीवम् अपतिविरतो भवति ॥ सू० ६ ॥ उक्तविषयः पुनरपि वर्ण्यते-'असमिक्खियकारी' इत्यादि मूलम्-असमिक्खियकारी सव्वाओ आस हत्थि-गो-महिसगवेलय दास-दासी-कम्मकर-पोरुस्साओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । सव्वाओ कयविकयमासद्धमासरूवगसंववहाराओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । सव्वाओ हिरण-सुवण्ण-धणधन्नमणि मोत्तिय-संख सिलप्पवालाओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । स वाओ कूडतुलकूडमाणाओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । सव्वाओ आरंभ समारंभाओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । सव्वाओ पयणपयावणाओ अप्पडिविरओ जावजीवाए । सव्वाओकरणकरावणाओ अव्पडिविरओ जावजीवाए । सप्वाओ कुदृण पिट्ट णाओं, तज्जणतालणाओ, वह-बंध परिकिलेसाओ अप्पडिविरओ के बैठने का स्थान हो । दो हाथ के नाप की जिस में चौरस वेदी हो ऐसा गोलदेशप्रसिद्ध पालखीविशेष । शयन-पलङ्ग आदि, आसनपीठ फलक आदि, तथा यान-सामान्यरूप से छोटा गाडी आदि, वाहनहाथी घोडा आदि, भोजन - अशन आदि, प्रविस्तर - कलश थाली लोटा आदि उपकरण, इन के भोगोपभोगसे जावजीव निवृत्त नहीं होता है ॥ सू० ६॥ स्यन्दमानिका-रेभा १ ४४ पुरुष असवानी. या हाय छे. मे डायना मायनी सभा यारस वही डाय सेवा शप्रसिद्ध पासमाविशेष शयन= ५ मा आसन% पी8 इस माह तथा यान= सामान्य३५थी नानी गाडी मा वाहन= हाथी घोडा माहि. भोजन% अशन माह प्रविस्तर= ४०० थाणी all माह 6५કરણ તેના ગોપગથી જાવજીવ-જીવનપર્યત નિવૃત્ત થતા નથી. (સૂ) ૬) શ્રી દશાશ્રુત સ્કન્ધ સૂત્ર
SR No.006365
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages511
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size25 MB
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