________________
३२०
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे
अयनानि प्रज्ञप्तानि - कथितानि 'केवइया उऊ' तथा हे भदन्त ! पञ्चसंवत्सरिके युगे कतिकियत्संख्यका ऋतवो भवन्ति, तथा - ' एवं मासा पक्खा अहोरत्ता केवइया मुहुत्ता पन्नत्ता' एवं हे भदन्त ! पञ्चसंवत्सरिके युगे कतिमासाः प्रज्ञप्ता स्तथा पञ्चसंवत्सरिके युगे कतिपक्षाः प्रज्ञप्ताः, तथा पञ्चसंवत्सरिके युगे कति अहोरात्राः प्रज्ञप्ताः, तथा पञ्चसंवत्सरिके युगे कतिमुहूर्त्ता प्रज्ञप्ताः कथिता इति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंच संवच्छरिए णं जुगे दस अयणा' पञ्चसंवतरिके युगे दश अयनानि प्रज्ञतानि - कथितानि प्रतिवर्ष मयनद्वयसद्भावात् वर्षाणां पञ्चसंख्याकत्वादयनानां दशत्वमविरुद्धमिति । 'तीसं उऊ' त्रिंशद् ऋतवः प्रत्ययनम् ऋतुत्रय संभवात्, अत्र सूर्यसंवत्सरस्य पष्ठऽशः, एकपष्टि दिन प्रमाणः सूर्यॠतुरेव नतु ऋतु संवत्सरषष्ठांशः पष्टि दिनप्रमाणो लौकिकऋतुः तथासति पष्टि - माइत्युत्तरसूत्रमसमंजसं स्यात् । सट्टीमासा' षष्टिर्मासाः प्रतिऋतु मासद्वयसद्भावात् हैं सो उन संवत्सर स्वरूप एक युग में कितने अयन होते हैं ? सूर्य संबन्धी पांच संवत्सर जिसका प्रमाण है ऐसे पांच संवत्सरिक युग में उत्तरायण दक्षिणायन रूप अयन कितने होते हैं ? 'केवइया ऊऊ' ऋतुएं कितनी होती हैं ? 'एवं मासा पक्खा, अहोरत्ता, केवइया, मुहुत्ता पन्नत्ता' इसी प्रकार से महिने, पक्ष, अहोरात्र, और मुहूर्त कितने होते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'गोयमा ! पंचस वच्छरिए णं जुगे दस अयणा' हे गौतम ! पांचसं वत्सरों वाले एक युग में दस अयन होते हैं, क्योंकि प्रति वर्ष दो दो अथन होते हैं - इसलिये ५ वर्षों के अयन ५ x २ = १० हो जाता है 'तीसं उऊ' ऋतुएं ३० होती है क्योंकि एक वर्ष में ६ ऋतुएं होती कही गई हैं अतः ५६ =३० हो जाती हैं। अथवा एक अयन में ३ ऋतुएं होती है एक युग में १० अयन कहे गये हैं अतः १०x३=३० ऋतुएं होती हैं यह बात यो भी स्पष्ट हो जाती है । 'सट्ठीमासा' एक युग में ६० मास होते हैं एक वर्ष में १२ मास होते हैं तो ५ वर्ष मे સ્વરુપ એક યુગમાં કેટલા અયન હાય છે? સૂર્ય સમ્બન્ધી પાંચ સંવત્સર જેનું પ્રમાણ છે એવા પાંચસ’વત્સરિક યુગમાં ઉત્તરાયણુ દક્ષિણાયન રૂપ અયન કેટલા હોય છે? 'केवइया उउ' ऋतु । डेटसी होय छे ? 'एवं मासा पक्खा, अहोरत्ता, केवइया, मुहुत्ता પુત્તા આવી જ રીતે મહિના, પક્ષ, અહોરાત્ર અને મુહૂત કેટલા હોય છે ? આ પ્રશ્નના उत्तरभां अलु उहे छे- 'गोयमा ! पंच संवच्छरिए णं जुगे दस अयणा' हे गौतम! पांथ સવત્સરાવાળા એક યુગમાં દશ અયન હોય છે કારણ કે પ્રતિવ` અખે અયન હોય છે या रीते पांच वर्षाना अयन ५x२ = १० थह लय हे 'तीसं उउ' ऋतुसो 30 होय छे કારણ કે એક વર્ષીમાં છ ઋતુએ હોવાનુ કહેવાય છે. અથવા એક અયનમાં ૩=ઋતુએ હોય છે. એક યુગમાં દશ અયન કહેવામાં આવ્યા છે આથી ૧૦૪૩=૩૦ ઋતુએ થાય छे. आ उथन आम पशु स्पष्ट यह भय छे. 'सट्ठी मासाः ' ये युगमा ६० भास होय
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર