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________________ २४८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे मुहूर्तप्रमाणो दिवसो भवति तदा मन्दरस्य पूर्व पश्चिमे च पञ्चदशमुहुर्तप्रमाणा रात्रि भवति । 'पण्णरसमहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेग पण्णरसमुहु ता राई' यदा खलु पञ्चदशमुहूर्तानन्तरो दिवसो भवति तदा सातिरेकपञ्चदशमुहर्तप्रमाणा रात्रि भवति इति । 'चोदसमुहुत्ते दिवसे' यदा एलु चतुर्दशमुहूर्तप्रमाणो दिवसो भवति द्वाविंशत्युत्तरशततममण्डले सूर्ये, तदा 'सोलस मुहु ताराई' षोडशमुहूर्तप्रमाणा रात्रिभवति यदा खलु मदरस्य पर्वतस्य दक्षिणे चोत्तरे च विभागे चतुर्दशमुहूर्तप्रमाणको दिवसो भवति तदा मन्दरस्य पर्वतस्य पूर्वे पश्चिमेच दिग्भागे षोडशमुहूर्तप्रमाणा रात्रिर्भवतीत्यर्थ: 'चोदसमुहुत्ताणंतरेदिवसे भवइ साइरेग सोलसमुहुत्ता राई भवई' यदा खल चतुर्दशमुहूर्चानन्तरो दिवसो भवति तदा सातिरेकषोडश मुहर्ता रात्रिर्भवति यदा एलु मन्दरस्य दक्षिणे उत्तरे च भागे चतुर्दशमुहूर्तानन्तरो दिवसो भवति तदा मन्दरस्य पूर्व पश्चिमेच भागे सातिरेक पोडशमुहूतप्रमाणवती रात्रिर्भवतीत्यर्थः । दिशामें १५ मुहर्त का दिन होता है और मन्दर पर्वत की पूर्व और पश्चिम दिशामें १५ महर्त की रात्रि होती है 'पण्णरसमुह ताणंतरे दिवसे साइरेग पण्णरसमुहु ता राई' और जब १५ मुहूर्त से कुछ कम दिन होता है तब १५ मुहूर्त से अधिक रात्रि होती है। 'चोद्दसमुह ते दिवसे' जब १२२ वें मंडल में सूर्य होता है तब १४ मुहूर्त का दिवस होता है और 'सोलसमुहु ता राई' सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है तात्पर्य यह हैं कि जब मन्दर पर्वत की दक्षिण और उत्तर दिशा में १४ मुहूर्त का दिन होता है तब मन्दर पर्वत की पूर्व और पश्चिम दिशा में १६ मुहूर्त को रात्रि होती है 'चोद्दसमुहु ताणंतरे दिवसे भवइ साइरेग सोलस मुहूता राई भवई' तथा जब कुछ कम सोलह मुहूर्त का दिन होता है तब कुछ अधिक सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है अर्थात् मन्दर पर्वत की दक्षिण और उत्तर दिशा में जब कुछ कम १४ मुहूर्त का दिवस होता है तब मन्दर पर्वत की पूर्व और पश्चिम दिशा में कुछ अधिक सोलह मुहूर्त की भने म४२५५ तनी पूर्व ४२ पश्चिमहिशामा १५ मुतनी राय छे. 'पण्णरस महत्ताणतरे दिवसे साइरेग पण्णरसमुहु ता राई' भने पारे १५ मुडूत ४२ ४ ४भ हवसाय छ त्यारे १५ भुडूत ४२di म४ि २ हाय छे. 'चोदस मुहु ते दिवसे' न्यारे १२१ मा भाभी सूर्य य छ त्यारे १४ मुडूतन हिस उाय छे भने 'सोलस मुहत्ता राई' से मुहूतनी रात्रि डाय छे. तात्५य' या प्रमाणे छ ॐ न्यारे १२५ तना દક્ષિણ અને ઉતરદિયામાં ૧૪ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે ત્યારે મંદર પર્વતની પૂર્વ અને पश्चिमदिशामा १६ मुडूतनी २॥त्रि होय छे. 'चोदसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ साइरेग सोलसमुहु ता राई भवइ' तथा न्यारे ४08 भ से मुहूतना हिस होय छे त्यारे કંઇક વધારે સેળ મુહૂર્તની રાત્રિ હોય છે. અર્થાત્ મન્દર પર્વતની દક્ષિણ અને ઉત્તરદિશામાં જ્યારે કંઈક કમ ૧૪ મુહૂર્તને દિવસ હોય છે, ત્યારે મંદ૨પર્વતની પૂર્વ અને જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006356
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages567
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size35 MB
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