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________________ . २१० जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे भिलक्ष्योपसंक्रम्य चारं गतिं चरति-करोति, 'तयाणं' तदा तस्मिन काळे सर्वाभ्यन्तरमण्डल संक्रमणकाले खलु 'एगमेगेणं मुहुतेणं' एकैकैन मुहुर्तेन प्रतिमुहूर्त मित्यर्थः 'केवइयं खेतं गच्छइ' कियत्-कियन्प्रमाणकं क्षेत्रं गच्छति-घरतीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंच जोयणसहस्साई' पश्चयोजनसहस्राणि 'दोण्णि य पण्णढे जोयणसए द्वे च पञ्चषष्टि योजनशते, पञ्चषष्टयधिके योजनशते इत्यर्थः 'अट्ठारसयमागसहस्से अष्टादश च भागसहस्राणि 'दोणि य तेवढे भागसए गच्छइ' द्वे च त्रिषष्टिभागशते, त्रि षष्टयधिके द्वे भागशते इत्यर्थः गच्छति एकैकेन मुहूर्तेन, भागपदं चावयववाचकम्, अवयववावयविनं विना न संभवति, ततश्च कस्य अवयविन इमे इत्याशङ्कायामाह-मंडलं' इत्यादि, 'मंडलं च एकवीसाए भागसहस्से हिं' मण्डलञ्चकविंशत्या भागसहस्रैः 'नवहिय सहेहिंसएहि' नवभिश्च षष्टयधिकैः शतैश्छित्वा-तस्य च्छेदं कृत्वा इति, अयं भावः-अत्र खलु नक्षत्रमण्डलगच्छई' उस समय वे एक एक मुहूर्त में कितने क्षेत्र पर जाते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! पंच जोयणसहस्साई दोण्णि य पण्णढे जोयणसए' हे गौतम! उस समय वे ५२६५ योजन क्षेत्र तक चले जाते हैं 'अट्ठारसय भाग सहस्से दोणि य तेवढे भागसए गच्छई' और १८२६३ भाग तक चले जाते हैं भाग पद अवयव वाचक है, अतः ये भाग यहां किसके गृहीत किये गये हैं इस प्रकार की आशंका के उतर के निमित 'मंडलं च एकवीसाए भाग सहस्सेहिं नवहिय सहेहिं सएहिं' ऐसा सूत्र कहा गया है इसका भाव ऐसा है कि नक्षत्र मंडल का काल ५९ मुहूर्तात्मक है मुहूर्त के ३६७ भाग कर लेना चाहिये इसके अनुसार मुहर्त गति का विचार इस प्रकार से किया गया है-रात्रि और दिवस के मध्य में तीस मुहूर्त होते हैं अर्थातू एक दिन रात ३० मुहूर्त का होता है इन में २९ मुहूर्त और मिलाये जाते हैं तब दोनों का जोड ५९ होजाता તે સમયે તેઓ એક એક મુહૂર્તમાં કેટલા ક્ષેત્રે ઉપર ગતિ કરે છે? એના જવાબમાં प्रभु डे छ-'गोयमा ! पंच जोयणसहस्साई दोणिय पण्णद्वे जोयणसए' : गौतम !ते समये तो ५२६५ यो क्षेत्र सुधी गति ७३ ७. 'अद्वारसय भाग सहस्से दोग्णय तेवढे भाग सए गच्छइ' भने १८२६3 Hin सुधी भासण गति १२ १ २६ 'ला' પદ અવયવ વાચક છે. એથી અત્રે એ “ભાગે કયા પદાર્થના ગૃહીત કરવામાં આવેલા छ ? 41 तनी मान भत्ते मडलं च एक्कवीसाए भागसहस्सेहिं नवहिय सट्टेहिं सरहिं' से। सूत्रा मा मावेस छे. मान ला 20 प्रमाणे के 3 नक्षत्र મંડળને કાળ ૫૯ મુહૂર્તાત્મક છે. મુહૂર્તના ૩૬૭ ભાગે કરી લેવા જોઈએ. આ મુજબ મુહૂર્ત ગતિને વિચાર આ પ્રમાણે આવેલ છે–રાત્રિ અને દિવસના મધ્યમાં ત્રીસ મુહુર્ત હોય છે એટલે કે એક દિવસ-રાત ૩૦ મુહૂર્તના હોય છે. આમાં ૨૯ મુહૂર્તે બીજા જોડવામાં આવે છે ત્યારે બન્નેને વેગ ૫૯ થાય છે, ૫૯ ને ૩૬૭ વડે ગુણાકાર કરવાથી જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
SR No.006356
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages567
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jambudwipapragnapti
File Size35 MB
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