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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे द्रव्यमाश्रित्य प्रतिबन्धः 'इह खलु माया मे' इहलोके खलु माता मे-माता ममास्ति, एवं 'पिया मे' पिता मे, 'भाया मे' भ्राता मे, 'भगिनी में भगिनी मे 'जाव' यावत्यावत्पदेन 'भज्जा मे, पुत्ता मे, धूआ मे, णत्ता मे, सुण्हा मे, सहिसयण' छाया'भार्या मे, पुत्रा मे, दुहितरो मे, नप्ता मे, स्नुषा मे, सखिस्वजन' इति संग्राह्यम् । तत्र-भार्या-पत्नी मे-ममास्ति, पुत्रा मे दुहितरः-पुत्र्या मे नप्ता-पौत्रो दौहित्रो या मे, स्नुषा-पुत्र वधू में, तथा 'संगंथ संथुया मे' संग्रन्थ संस्तुता मे सखिस्वजनेत्यस्य संग्रन्थसंस्तुता इत्यनेन सह सम्बन्धः, ततश्च-सखिस्यजनसंग्रन्थसंस्तुता इति पदम्, तत्र--सखा-मित्रं, स्वजन:-पितृव्यपुत्रादिः, संस्तुतः-पुनः पुनदर्शनेन परिचितः, सख्यादीनामितरेतरयोग द्वन्द्वः, ते च मे-मम सन्तीति । तथा-'हिरण्णं में हिरण्यं मे 'सुवण्णं में सुवर्ण मे, 'जाव' 'कंस मे दृसं मे धणं में छाया-कांस्यं मे दृष्यं मे धनं में' इति संग्राह्यम् , तथा 'उवगरणं मे' उपकरणं-पूर्वोक्तातिरिक्ता सामग्री मे इति । पुनः प्रकारान्तरेण द्रव्यतःप्रतिबन्धमाह-'अहया' इत्यादि । 'अहवा' अथवा-द्रव्यतः प्रतिबन्धः 'समासओ' समासतः-संक्षेपतः 'सचित्ते वा' सचित्ते-द्विपदादौ 'अचित्ते वा' अचित्तेभाव को आश्रित करके "दव्यओ" द्रव्य को आश्रित करके प्रतिबन्ध इस प्रकार से है" इह खलु माया में पिया मे, भाया मे, भगिणी मे" माता मेरी है, पिता मेरा है, भाई मेरा है, भगिनी मेरी है "जाव" यावत्पद से "भज्जामे, पुत्ता मे, धूआ में णता मे, सुण्हा में सहिसयण" इन पदों के संग्रह के अनुसार भार्या मेरी है, पुत्र मेरे हैं, दुहिता-पुत्री मेरी है, नाती मेरा है, स्नुषा पुत्र वधू मेरी है, सखि-मित्र और स्वजन मेरे हैं, "सखिस्वजन" इस पद का "संगंथ संथुया मे" पद के साथ सम्बन्ध है. इससे संस्तुत-बार २ परिचित हुए सखि स्वजन पितृव्य पुत्र आदि ये सब मेरे है. तथा-"हिरणं मे" हिरण्य मेरा है, "सुवण्ण मे" सुवर्ण मेरा हैं. "जाव" यावत्पद से गृहीत "कंसं मे, दूसं मे, धणं मे" इन पदों के अनुसार कांसा मेरा है, दूष्य-वस्त्र-तम्बू आदि मेरे हैं, तथा "उवागरणं में" उपकरण-पर्वोक्त वस्तुओं से अतिरिक्त सामग्री मेरी है। प्रकारान्तर से पुनः द्रव्य की अपेक्षा प्रतिबन्ध का कथन "अहवा समासओ सचित्ते या अचित्ते या मीसएवा दव्यजाए से तं तस्स ण भवई" अथवा द्रव्य की अपेक्षा
शन. 'दव्वओ' द्रव्यने माश्रित शन२ प्रतिमा थाय छ तनु ८५३५ २॥ प्रमाणे छे. 'इह खलु माया मे, पिया मे, भाया मे, भगिणी मे, भात भारी छे, पिता भा। छ; AS भा छ, महन भारी छ. यावत् ५४थी 'भज्जा मे, पुत्ता मे, धूआ मे, णत्ता मे, सुण्हा मे, सहिसय
” આ પદેના સંગ્રહ મુજબ ભાર્યામારી છે. પુત્ર મારે છે, દુહિતા-પુત્રી મારી છે. નાતી પુત્રને પુત્ર કે પુત્રીને પુત્ર--મારો છે, મનુષા-પુત્ર વધૂ મારી છે, સખિ, મિત્ર અને સ્વજને भाछे. 'सखिस्वजन:' मा पहन। 'संगंथ संथुआम' पनी साथै समय छे. मनाया સંસ્તત વારંવાર પરિચિત થયેલ સખિ-સ્વજન પિતૃવ્ય કાકા પુત્ર વગેરે બધાં મારા છે. तर हिरण में हि२९य याही भा छे. 'सुवण्णं मे' सुपर्ण-सानु भाछे. 'जाव' यावत् पया PSURAT 'कस मे दूस मे धणं मे' मा प्रमाणे मार छ, द्रव्य-पक्षो aiy
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર