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________________ ६५२ सूर्यप्रज्ञप्तिस्त्रे कातुल्ये समये सूर्यास्तात् पूर्व च ८ घटिकातुल्ये समये अर्द्धपौरुषिच्छाया भवति ॥ एवं सर्वत्र, गौतमः पुनः प्रश्नयति-ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?' तावत् पौरुषी खलु छाया दिवसस्य किं गते वा शेषे वा ॥ तावदिति प्रागवत पौरुषीपुरुषप्रमाणा-कस्यापि प्रकाश्यस्य वस्तुनः स्वप्रमाणा छाया खलु-इति निश्चितं दिवसस्य किं गते-कतमे भागे वा कतमे भागे शेषे सति स्वप्रमाणा छाया भवतीति श्रुत्वा भगवानाह-'ता चउभागे गते वा सेसे वा' तावत् चतुर्भागे गते वा शेषे वा ? ॥ तावत् चतुर्भागे-दिवसस्य चतुर्भागे-चतुर्थांशतुल्ये गते वा शेषे वा पुरुषप्रमाणा-प्रकाश्यवस्तुनः स्वप्रमाणा छाया भवतीति श्रुत्वा पुनःप्रश्नयति-'ता दिवद्धपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?' तावद् द्वयर्द्धपौरुषी खलु छाया दिवसस्य किं गते वा शेषे वा ? । तावसे ८ आठ घटिका बराबर समय में अर्ध पुरुष प्रमाण की छाया होती है, इस प्रकार सर्वत्र समज लेवें, श्रीगौतमस्वामी फिर से प्रश्न करते हुवे कहते हैं-(ता पोरिसी गं छाया दिवसस्स किंगते वा सेसे वा) वह पुरुष प्रमाण माने कोइ भी प्रकाश्य वस्तु की स्वप्रमाण तुल्य छाया दिवस का कितना भाग जाने पर अथवा कितना भाग शेष रहने पर अपने अपने प्रमाण तुल्य छाया होती है ? इस प्रकार से श्रीगौतमस्वामी के प्रश्न को सुनकर इसका उत्तर देते हुवे भगवान् महावीरस्वामी उत्तर देते हुवे कहते हैं(ता चउभागे गते वा सेसेवा) दिवस का चतुर्भाग माने चतुर्थांश भाग जाने पर या चतुर्भाग शेष रहनेपर पुरुष प्रमाण की माने सभी प्रकाश्य वस्तु की उनके तुल्य प्रमाण की छाया होती है। इस प्रकार से भगवान् का उत्तर को सुनकर श्री गौतमस्वामी पुनः प्रश्न करते हैं-(ता दिवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा) द्वयर्ध पुरुष प्रमाण माने दूसरे का आधा આઠ ઘડિ તુલ્ય તથા સૂર્યાસ્ત કાળથી ૮ આઠ ઘડી બરાબર સમયમાં અર્ધ પુરૂષ પ્રમાણની છાયા હોય છે, પ્રમાણે બધે સમજી લેવું. श्रीमतभस्वामी ३शथी प्रश्न ४२ छ -(ता पोरिसी गं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा) ते ५३५ प्रमाणुनी थेट ४ ५९] प्रश्य वस्तुनी पोताना प्रभाए परामरनी છાયા દિવસને કેટલો ભાગ જાય ત્યારે અથવા કેટલે ભાગ શેષ રહે ત્યારે પિતપોતાના પ્રમાણ બરાબરની છાયા હોય છે ? આ પ્રમાણે શ્રી ગૌતમસ્વામીના પ્રશ્નને સાંભળીને तेन। उत्त२ मातi सावान महावी२२वामी ४ छ (ता चउभागे गते वा सेसे वा) દિવસને ચોથે ભાગ એટલે કે ચતુર્થાંશ ભાગ જાય ત્યારે અથવા જે ભાગ બાકી રહે ત્યારે પુરૂષ પ્રમાણુની અર્થાત્ બધી પ્રકાશ્ય વસ્તુની તેને બરાબરના પ્રમાણની છાયા હેય છે? આ પ્રમાણે ભગવાનનો ઉત્તર સાંભળીને શ્રીગૌતમસ્વામી ફરીથી પ્રશ્ન पूछे छ-(ता दिवद्ध पोरिसी गं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा) द्वय ५३५ प्रभार શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૧
SR No.006351
Book TitleAgam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1981
Total Pages1076
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_suryapragnapti
File Size74 MB
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