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सूर्यक्षप्तिप्रकाशिका टीका सू० २९ अष्टमं प्राभृतम् उद्गतस्तु तत ऊर्ध्व प्रदेश मण्डलपरिभ्रमणगत्या चरन् पूर्वविदेहान् अवभासयति, ततश्चैषः पूर्वविदेहप्रकाशकः सूर्यो भूयो दक्षिणपूर्वस्यां भरतादि क्षेत्रापेक्षया उदयमासादयति, अपरविदेहप्रकाशकस्तु अपरोत्तरस्या मुदेति । तदेवं जम्बूद्वीपे द्वीपे भारतैरवतयोः सूर्ययो रुदयविधिः प्रतिपादितः, यथा जम्बूद्वीपे तथैव शेषेषु द्वीपेष्वपि परिभावनीयः,
सम्प्रति क्षेत्रविभागेन दिवसरात्रिविभागमाह
'ता-जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड़े दिवसे भवइ तया णं उत्तरड़े दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे जंबुद्दीवे दीवे दिवसे भवइ तयाण मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमपञ्चत्थिमेणं राई भवइ' तावत् यदा खलु जम्बूद्वीपे द्वीपे दक्षिणार्द्ध दिवसो भवति तदा खलु उत्तरार्दु दिवसो शित करता है । तथा उत्तर पूर्व में उदित होनेवाला सूर्य उनके ऊपर के प्रदेश में मंडलपरिभ्रमण गति से भ्रमण कर के पूर्व विदेहादि क्षेत्रों को प्रकाशित करता है। तदनन्तर पूर्वविदेहक्षेत्र को प्रकाशित करने वाला सूर्य फिर से भरतक्षेत्र की अपेक्षा से दक्षिण पूर्वदिशा में उदय को प्राप्त होता है । अपर विदेहक्षेत्र को प्रकाशित करने वाला सूर्य फिर से भारतक्षेत्र की अपेक्षा से दक्षिणपूर्व दिशा में उदय को प्राप्तकरता है अपरविदेह को प्रकाशित करने वाला सूर्य पश्चिम उत्तर दिशा में उदित होता है । इस प्रकार जम्बूद्वीप नामक द्वीप में भरत एवं ऐरवतक्षेत्र के सूर्यों की उदद्यावस्था की विधि का प्रतिपादन किया है। जिस प्रकार जम्बूद्वीप में कहा है, उसी प्रकार से शेष सभी द्वीपों में भी भावित कर लेवें।।
अब क्षेत्र विभाग से दिवसरात्रि के विभाग का कथन करते हैं
'ता जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे जंबुद्दीवे दीवे दिवसे भवइ तया णं मंदस्स पवयस्स पुरथिमपच्चत्थिमेणं राई भवइ) सूर्य के उदय विभाग के विचार में जिस समय जम्बूद्रोप के दक्षिण दिशा के अर्ध विभाग में दिवस होता है ઉપરના પ્રદેશમાં મંડળ પરિભ્રમણ ગતિથી ભ્રમણ કરીને પૂર્વ વિદેહ ક્ષેત્રને પ્રકાશિત કરે છે. તે પછી પૂર્વ વિદેહ ક્ષેત્રને પ્રકાશિત કરવાવાળે સૂર્ય ફરીથી ભરતક્ષેત્રની અપેક્ષાથી દક્ષિણપૂર્વ દિશામાં ઉદય પામે છે. અપરવિદેહને પ્રકાશિત કરવાવાળે સૂર્ય પશ્ચિમ ઉત્તર દિશામાં ઉદિત થાય છે. આ પ્રમાણે જંબુદ્વીપ નામના દ્વીપમાં ભારત અને અરવત ક્ષેત્રના સૂર્યોની ઉદયાવરથાની વિધીનું પ્રતિપાદન કરેલ છે. જે પ્રમાણે જંબુદ્વીપમાં કહ્યું છે એજ પ્રમાણે બાકીના બધા દ્વીપમાં પણ ભાવના સમજી લેવી.
डवे क्षेत्रविमाथी विसरातना विभागनु ४थन ४२वा आवे छे. (ता जया ण जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तया णं मंदरम्स पव्वयस्स पुरथिमपच्चत्थिमेणं राई भवइ) सूर्य न हय विमान वियामा न्यारे यूद्वीपमा दक्षिण दिशान म
શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર: ૧